अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर लगाई रोक

अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर लगाई रोक

आतंक के पनाहगाह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर हर तरफ से लानतें मिल रही हैं. अब आलम ये हो गया है कि उसका सबसे बड़ा मददगार और दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका भी उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. यहां तक कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कह दिया है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि उसने अब तक आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. अपने इस बयान के बाद अमेरिका ने एक्शन भी कर दिखाया है. अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर रोक लगा दी है.अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर लगाई रोकईरान में 4 दिन से जारी है कट्टरपंथ के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, ट्रंप ने किया ट्वीट

यूं तो भारत विभाजन के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान को उसके गठन से ही अमेरिका मदद देता आ रहा है. लेकिन 2001 में अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद यूएस ने पाकिस्तान को मदद का भंडार खोल दिया. अमेरिका के एक रिसर्च थिंक टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट (CGD) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 से लेकर 2011 तक अलग-अलग मदों में अमेरिका ने पाकिस्तान को 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है. बराक ओबामा के शासनकाल में 2009 में पाकिस्तान की मदद के लिए कैरी लुगर विधेयक (एनहेन्स्ड पार्टनरशिप विद पाकिस्तान एक्ट ऑफ 2009) पास किया गया. आगामी पांच सालों (2010-14) में साढ़े सात अरब अमेरिकी डालर की असैनिक मदद वाले कैरी लुगर विधेयक को व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान के लिए व्यापक समर्थन की ठोस अभिव्यक्ति बताया.

9/11 हमले के बाद पाकिस्तान को अमेरिकी मदद (अमेरिकी डॉलर में)

2002- 2 बिलियन

2003- 1.3 बिलियन

2004- 1.1 बिलियन

2005- 1.7 बिलियन

2006- 1.8 बिलियन

2007- 1.7 बिलियन

2008- 2.1 बिलियन

2009- 3.1 बिलियन 

2010- 4.5 बिलियन

2011- 3.6 बिलियन

2012- 2.6 बिलियन

2013- 2.3 बिलियन

2014- 1.2 बिलियन

सैन्य क्षेत्र में 70 फीसदी फंड 

आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद खुलकर पाकिस्तान की मदद की है. इस मदद में बजट का बड़ा हिस्सा सैन्य मदद के तौर पर दिया गया है या इस्तेमाल किया गया है. जबकि शिक्षा और दूसरे मदों में एक चौथाई फंड दिया गया. सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट के मुताबकि, वित्तीय वर्ष 2002 से 2009 के बीच आर्थिकी से जुड़े मदों में सिर्फ 30 फीसदी फंड दिया गया है. जबकि 70 फीसदी मदद सैन्य क्षेत्र में दी गई है. वहीं 2010 से 2014 के बीच सैन्य मदद में थोड़ी कमी आई है और आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कुल मदद का करीब 41 फीसदी दिया गया.

अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने सिर्फ अमेरिका को अब तक मूर्ख बनाया है. अमेरिका पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दे चुका है, लेकिन उसने हमें झूठ और छल-कपट के अलावा कुछ नहीं दिया.’ हालांकि, पाकिस्तान भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़े खर्च के दावे करता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने दावा किया है कि 2001 के बाद आतंक के खिलाफ लड़ाई में उसने 80 बिलियन डॉलर खर्च किया है.

मदद में कटौती

हालांकि, पिछले कुछ वक्त से पाकिस्तान की मदद में अमेरिका लगातार कटौती कर रहा है. मोदी सरकार आने के बाद भारत लगातार अमेरिका और यूएन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बजाय उन्हें अपनी धरती पर पनाह देने के लिए एक्पोज करता रहा है, जिसके पाकिस्तान का दूसरा चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब हुआ है. हाफिज सईद, सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकी चेहरों को अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर चुका है और पाकिस्तान से उनके खिलाफ कार्रवाई का आह्वान कर चुका है, बावजूद इसके आतंकियों को पाकिस्तान की मदद के केस सामने आ रहे हैं. ट्रंप राज आने के बाद से ही लगातार पाकिस्तान को मदद में कटौती की जा रही है. अब ट्रंप ने नए साल के अपने पहले ट्वीट में ‘नो मोर’ कहते हुए पाकिस्तान को 255 डॉलर की सैन्य मदद रोक दी है.

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