अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद से एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। अब ट्रंप ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में व्यापक बदलावों को अनिवार्य किया गया है।
इसके तहत अब अमेरिका में फेडरल चुनावों में वोट डालने के लिए US सिटिजनशिप अनिवार्य होगा। इसका मतलब यह होगा कि संघीय चुनावों में वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नागरिकता के दस्तावेज की जरूरत होगी। ट्रंप ने इसको लेकर भारत का उदाहरण भी दिया, उन्होंने कहा, ‘भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका नागरिकता के लिए काफी हद तक स्व-सत्यापन पर निर्भर है।’
क्या है ट्रंप का फैसला?
मतदाता पंजीकरण के लिए नागरिकता का दस्तावेजी प्रमाण, जैसे पासपोर्ट, अनिवार्य होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी मतपत्र चुनाव के दिन तक प्राप्त हो जाएं। ट्रंप के मुताबिक इस आदेश का मकसद चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
आदेश के तहत, अब वोटर संघीय चुनावों में मतदान के लिए नागरिकता के दस्तावेजी प्रमाण के बिना पंजीकरण नहीं करा सकेंगे। साथ ही सभी मतपात्रों के चुनाव दिवस तक प्राप्त करना आवश्यक होगा।
चुनावी अनियमितताओं को देखते हुए जारी किया आदेश
आदेश में कहा गया है कि अमेरिका में चुनाव में सुरक्षा मुहैया कराने में असफल रहा है।
ऐसे में संघीय एजेंसी को आदेश दिए गए हैं कि वो चुनाव अधिकारियों के साथ संघीय डाटा शेयर करे, जिससे उन्हें गैर नागरिकों की पहचान करने में मदद मिल सके।
यह कार्रवाई ट्रम्प के लगातार चुनावी अनियमितताओं और धोखाधड़ी के दावों के अनुरूप है, खासकर मेल-इन वोटिंग के संबंध में, जिसकी उन्होंने दस्तावेजी धोखाधड़ी के न्यूनतम सबूतों के बावजूद बार-बार आलोचना की है।
लोगों ने की आदेश की आलोचना
मतदान अधिकार संगठनों और डेमोक्रेट्स ने इस आदेश की निंदा की है। कोलोराडो के राज्य सचिव जेना ग्रिसवॉल्ड ने कहा-ट्रम्प का कार्यकारी आदेश गैरकानूनी है। यह पात्र अमेरिकियों को वोट देने के अपने पवित्र अधिकार का प्रयोग करने से रोकेगा।
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