अयोध्या: बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के विवाद में श्रीराजपूत करणी सेना ने एक नया ही मुद्दा उठा दिया है। सेना ने भगवान राम के लिए राजमहल का निर्माण कराने के लिए क्षत्रियों को आगे आने का आह्वान किया। इसके साथ ही रामजन्मभूमि सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दी गयी है।
सेना के संस्थापक ठाकुर लोकेन्द्र सिंह कालवी ने बुधवार को अयोध्या के बाईपास स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी अर्जी अभी न तो स्वीकार की गयी है और न ही खारिज हुई है। उन्होंने कहा कि भगवान राम क्षत्रिय थे और हम लव वंशीय क्षत्रिय होने के कारण उनके वंशज है। उन्होंने कहा कि महाराज दशरथ चक्रवर्ती नरेश थे तो स्वाभाविक है भगवान का जन्म राजमहल में हुआ होगा न कि मंदिर में।
उन्होंने कहा कि पिछले 26 सालों से हम देख रहे हैं कि मंदिर के नाम पर आस्था के सम्मान के बजाए सिर्फ राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि एससी, एसटी एक्ट के संशोधन के बाद से यह पूरी तरह सिद्ध भी हो गया कि एससी के अध्यादेश लाया जा सकता है लेकिन मंदिर के लिए नही। उन्होंने कहा कि इस राजनीति से आपसी वैमनस्य बढ़ रहा है और समाज में विभाजन की स्थिति पैदा हो गयी है।
उन्होंने कहा कि राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में अदालत से बाहर समझौते की गुंजाइश नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि समझौते के लिए अपनी मजबूती के साथ दूसरे की मजबूरी होनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि करणी सेना नेताओं से वोट, नोट व सोंठ तीनों से निपटने में सक्षम है। यही कारण है कि हमने कोर्ट में अर्जी लगाई है कि वह हमें रामजन्मभूमि सौंप दे तो करणी सेना अपनी देखरेख में भगवान के लिए राजमहल का निर्माण कराएगी।
इससे मंदिर.मस्जिद का झगड़ा भी खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि उन्हें इस मसले पर भी फिल्म पदमावत की तरह से जन समर्थन प्राप्त हो। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह अंतिम बार रामलला का दर्शन करने जा रहे हैं।
अब वह दोबारा तभी दर्शन के लिए आएंगे जब रामलला का या भव्य मंदिर बनेगा अथवा भव्य महल। इससे पहले उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से आए करणी सेना के पदाधिकारियों व प्रतिनिधियों से भेंट कर उनका हाल जाना और संगठन को मजबूत बनाने की अपील की। सम्मेलन में अयोध्या सदभावना समिति अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने नारा दिया कि ब्राह्मण शंख बजाये और क्षत्रिय बढ़ता जाए।