रामलला को रोजाना लाखों का दान प्राप्त होता है। इसमें नगदी के अलावा अन्य माध्यमों से भी दान प्राप्त होता है। इसके अलावा रामलला को बड़ी मात्रा में भक्त आभूषण यानी सोना, चांदी, हीरा, मोती भी अर्पित करते हैं। इसका हिसाब रखने के लिए ट्रस्ट की ओर से संघ के दो कार्यकर्ताओं को लगाया गया है।
सं घ के रामलला को रोजाना लाखों का दान प्राप्त होता है। इसमें नगदी के अलावा अन्य माध्यमों से भी दान प्राप्त होता है। इसके अलावा रामलला को बड़ी मात्रा में भक्त ये कार्यकर्ता आभूषण दान करने वाले भक्त का नाम, पता, मोबाइल नंबर नोट करते हैं। अलग-अलग शिफ्ट में इन कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है। पूरे दिन का हिसाब यानी संख्या, मात्रा बनाकर आभूषणों को लॉकर में जमा कराया जाता है। इसके लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में लॉकर बनवाया गया है। यही नहीं कुछ भक्त रामलला के दान काउंटर में धन न अर्पित कर नगदी देते हैं, इसका भी हिसाब ये कार्यकर्ता रखते हैं। यही नहीं रामलला के निजी आभूषणों की रखवाली के लिए भी सेना के रिटायर्ड धर्मगुरु को लगाया गया है। रोजाना सुबह- शाम जब रामलला का श्रृंगार किया जाता है तो पुजारी धर्मगुरु की निगरानी में ही आभूषण लॉकर से निकालते हैं और रामलला के पहनाते हैं। रात में रामलला को शयन कराने के लिए जब ये आभूषण उतारे जाते हैं तब भी इनकी गणना की जाती है। रामलला की सुरक्षा में इस समय छह अंगरक्षकों को लगाया गया है। आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में दो-दो गनर रामलला की रखवाली करते हैं।
राममंदिर में विराजमान रामलला की सेवा में सेना के रिटायर्ड 20 जवानों को भी लगाया है। इनमें तीन जवान धर्म गुरु पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इनकी ड्यूटी राम मंदिर में ही गर्भगृह के बाहर लगाई गई है। धर्मगुरुओं को रामलला की पूजा-अर्चना के अलावा दर्शनार्थियों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई है। धर्म गुरु गर्भगृह के बाहर की आरती-पूजा के समय व्यवस्था में सहयोग के साथ घंटा-घड़ियाल बजाने व आरती दिखाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त शेष 17 सेवानिवृत्त सैनिकों को परिसर में सादी वर्दी में श्रद्धालुओं के साथ-साथ व्यवस्थाओं की निगरानी की जिम्मेदारी दी गयी है।
श्री राम जन्मभूमि परिसर में शेषावतार मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। यह मंदिर राम मंदिर और कुबेर टीला के मध्य में निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर की डिजाइन तैयार हो चुकी है। शेषावतार मंदिर की ऊंचाई भी राम मंदिर के आसन के बराबर रहेगी। इसकी सलाह दक्षिण भारत के संतों ने दी थी। यहां भगवान शेषनाग की छत्रछाया में भगवान श्री सीताराम के विग्रह की प्रतिष्ठा की जाएगी। उधर सप्त मंडपम के फाउंडेशन का काम लगभग पूरा हो चुका है। यहां फर्श का निर्माण भी चल रहा है। साथ ही दीवार के पत्थरों की सेटिंग की जा रही है।