कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाया जाती है। माना जाता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी ने भूलोक पर भगवान विष्णु और शिव जी आंवले के रूप में एक साथ पूजा की और इसी पेड़ के नीचे बैठकर खाना भी खाया। एक ये भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी, जिसे प्रजा ने अत्याचारी कंस के लिए विरोध जागा था। इसी वजह से अक्षय नवमी को लाखों भक्त मथुरा-वृदांवन की परिक्रमा करते हैं। इस बार ये त्योहार 29 अक्टूबर को है और पूजा के लिए करीब 5 घंटे का समय होगा।
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इस त्योहार के पीछे एक मान्यता ये भी है कि इसी तिथि को द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। यह युगादि तिथि है। इसे धात्री नवमी भी कहते हैं।