आइए जानते हैं बच्चे के हकलाने के पीछे क्या कारण होते हैं-
आपने अपने आस-पास कई बच्चों को हकलाते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह और उपचार क्या है। दरअसल, किसी बच्चे का हकलाना या तुतलाना एक स्पीच डिसऑर्डर माना जाता है, जो बच्चे के आसानी से बात करने में अड़चन पैदा करता है। आमतौर पर हकलाने की समस्या 2 से 5 साल के बीच के बच्चों में ज्यादातर पाई जाती है, जोकि कई बार बड़े होते-होते सामान्य होने लगती है। लेकिन, कुछ बच्चों में ये समस्या बड़े होने के बाद भी बनी रहती है, इस परिस्थिति में यह पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय हो सकती है। समय रहते अगर बच्चे की इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया जाता तो यह बच्चे के अंदर हीन भावना को जन्म दे सकती है। आइए सबसे पहले जानते हैं आखिर किसी बच्चे के हकलाने के पीछे क्या वजह हो सकती है।
बच्चे के हकलाने के पीछे छिपे कारण-
बच्चे कई बार डर, माता पिता की डांट से सहम जाने पर, सोशल प्रेशर के कारण, स्ट्रोक या दिमाग पर लगी चोट के कारण भी हकलाने लगते हैं।
बच्चों में हकलाहट की समस्या कैसे ठीक करें-
बच्चों में हकलाहट की समस्या ठीक करने के लिए आपको उसे किसी अच्छे स्पीच थैरेपिस्ट के पास ले जाना चाहिए, जहां पर सिंपल टेक्नीक दृारा इसका इलाज संभव है। इसके अलावा आप ये कुछ घरेलू उपाय आजमाकर भी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
योगा-
अक्सर देखा जाता है कि बच्चा अगर किसी डर का सामना कर रहा है तो वो हमेशा सहमा रहेगा, अपने इसी डर की वजह से वो कई बार हकलाने भी लगता है। ऐसे में योगा उसकी मदद कर सकता है। बच्चे का मूड अच्छा बनाए रखने के लिए उसे योगा सिखाएं।
शीशे के सामने खड़ा करके करवाएं अभ्यास-
बच्चे को शीशे के सामने खड़ा करके जोर-जोर से किताब पढ़ने के लिए कहें। ऐसा करने से बच्चा अपने डर पर काबू पा सकेगा और उसमें लोगों के सामने बोलने की हिम्मत भी आएगी।
किताब पढे़ं-
कई बच्चों को किताब पढ़ना अच्छा नहीं लगता। लेकिन किताब को तेज आवाज में पढ़ने से बच्चों की यह समस्या हल हो सकती है।
ब्रीथिंग एक्सरसाइज-
कई बच्चों को पढ़ते और बोलते समय सांस लेने में तकलीफ होती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए बच्चों को ब्रीथिंग एक्सरसाइज करवाएं। ऐसा करने से वो अच्छी तरह बोल पाएंगे।
स्पीच थैरेपी-
अगर ये सभी उपाय आजमाने के बाद भी आपको बच्चे की हकलाने की आदत में कोई सुधार नहीं लगता तो आप स्पीच थैरेपी का सहारा भी ले सकते हैं। स्पीच थैरेपी की मदद से बच्चा संकोच से बाहर निकलकर आत्मविश्वास के साथ बात करता है।