दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जो भगवान शिव के परम भक्त हैं। लेकिन उनमें से शायद ही कुछ लोग ऐसे होंगे… जिन्हें भगवान शिव के बारे में छोटी-छोटी कथा की जानकारी हो। आज हम आपको ऐसी ही एक कथा सुनाने जा रहे हैं। श्रावण मास चल रहा है और यह मास शिवजी को बेहद प्रिय है। साथ ही आज नाग पंचमी भी है। क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर भोलेनाथ के गल में आभूषण के स्वरूप में नाग क्यों हैं? अगर नहीं… तो आज हम आपको यह कथा सुना रहे हैं कि आखिर शिव शंभू के गले में नाग क्यों विराजित है।
शिव शंकर के गले में क्यों हैं नागराज वासुकी:
वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है। वो भगवान शिव के परम भक्त थे। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की पूजा अर्चना करने का प्रचलन भी नाग जाति के लोगों ने ही आरंभ किया था। शिवजी वासुकी की श्रद्धा और भक्ति से बेहद खुश थे। इसी के चलते उन्होंने वासुकी को अपने गणों में शामिल कर लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, नागों के देवता वासुकी की भक्ति से भगवान शिव बेहद खुश थे। क्योंकि वो हमेशा की शंकर जी की भक्ति में लीन रहते थे। तक प्रसन्न होकर शिवजी ने वासुकी को उनके गले में लिपटे रहने का वरदान दिया था। इससे नागराज अमर हो गए थे।
नागराज वासुकी की संक्षिप्त कथाएं:
समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को मेरू पर्वत के चारों ओर रस्सी की तरह लपेटकर मंथन किया गया था। एक तरफ उन्हें देवताओं ने पकड़ा था तो एक तरफ दानवों ने। इससे वासुकी का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था। इससे शिव शंकर बेहद प्रसन्न हुए थे। इसके अतिरिक्त जब वासुदेव कंस के डर से भगवान श्री कृष्ण को जेल से गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते झमाझम बारिश हुआ थी। इस बारिश में भी वासुकी नाग ने ही श्री कृष्ण की रक्षा की थी। मान्यता तो यह भी है कि वासुकी के सिर पर ही नागमणि विराजित है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features