लखनऊ: क्या आपने कभी सुना है कि किसी मामले में आरोपी खुद ही अपनी गिरफ्तारी देने के लिए पुलिस के पास पहुंच जाए और पुलिस उसको गिरफ्तार न करें। कुछ ऐसा ही हुआ रविवार की सुबह 11 बजे, जब दुराचार के मामले में कथित आरोपी आईजी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर एसएसपी बंगले अपनी गिरफ्तारी देने के लिए पहुंच गये। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी तो नहीं बल्कि एसएसपी ने एक माह के अंदर पूरे मामले का निस्तारण करने का आश्वासन आईजी और उनकी पत्नी को दिया है।
आईजी अमिताभ ठाकुर ने बताया कि बीते 13 जुलाई वर्ष 2015 में राजनीतिक दबाव में उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ एक युवती ने नौकरी दिलाने के नाम पर दुराचार करने का गंभीर आरोप लगाते हुए गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करायी थी। इस मामले की विवेचना सीओ गोमतीनगर सत्यसेन यादव को दी गयी थी। 18 माह से सीओ गोमतीनगर इस मामले की विवेचना कर रहे थे, पर आज तक हुआ कुछ भी नहीं। वहीं कथित तौर पर आरोपी आईजी और उनकी पत्नी अधिकारियों से मिलकर इस तथ्य को पहले ही रख चुके थे कि उनके खिलाफ दर्ज करायी गयी एफआईआर झूठी है। बावजूद इसके पुलिस ने अब तक न तो एफआईआर खारिज की और न ही कोई चार्जशीट लगाई।
पुलिस की इस कार्यशैली से नाराज आइजी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर रविवार की सुबह अपनी गिरफ्तारी देने के लिए एसएसपी मंजिल सैनी के हजरतगंज स्थित बंगल पहुंच गये। दोनों पति-पत्नी के पहुंचने से पहले ही एसएसपी के बंगले पर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया था। आईजी और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर जैसे ही एसएसपी के बंगले पहुंचे, वैसे ही दोनों को एसएसपी ने अपने कमरे में बुला लिया। एसएसपी ने दोनों को अपने कमरे में बैठाया। इसके बाद दोनों की पूरी बात सुनी। आईजी ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद आज तक विवेचक सीओ गोमतीनगर ने घटनास्थल तक का निरीक्षण नहीं किया।
दोनों पति-पत्नी ने बताया कि अगर वह लोग दोषी हैं तो फौरन उनको गिरफ्तार कर जेल भेजा जाये। आईजी और उनकी पत्नी की बात सुनने के बाद एसएसपी मंजिल सैनी ने उन दोनों को एक माह के अंदर तफ्तीश को पूरा कर लेने का आश्वासन दिया। वहीं एसएसपी ने सीओ गोमतीनगर सत्यसेन यादव के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिये हैं। एसएसपी से मिले आश्वासन के बाद आईजी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर वहां से वापस चले गये।