मध्यप्रदेश में तैनात एक आईपीएस अधिकारी से सम्मान वापस लिया सकता है। पुलिस अधिकारी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया था। रतलाम के डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी के लिए गैजेट नोटीफिकेशन 30 सितंबर को जारी कर कहा गया कि उनसे वीरता के लिए दिया गया सम्मान वापस लिया जा सकता है। इस पुरस्कार को शासित नियमों के नियम 8 के तहत जब्त किया जाएगा।
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2002 में धर्मेंद्र चौधरी झाबुआ में एएसपी थे जब उन्होंने लोहान का इनकाउंडर किया था। लोहान उस समय तीन राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान का मोस्ट वांटेड अपराधी था। उस पर 11 जघन्य अपराधों का आरोप था। पुलिस ने बताया कि मेंहदी खेरा गांव के रहने वाले 22 साल के लोहान पर 15000 का इनाम भी था।
5 दिसंबर 2002 को झाबुआ पुलिस को खबर मिली की लोहान अपने साथी के साथ कहीं जा रहा है। पुलिस ने घात लगाकर पीछा किया और लोहान को घेर लिया। लोहान के भागने के दौरान उसको मार गिराया गया।
इस इनकाउंटर को मजिस्ट्रेट इन्क्वायरी और आतंरिक जांच में सही पाया गया। दो कांस्टेबल को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया वहीं चौधरी को वीरता गैलेंटरी पुरस्कार से नवाजा गया। कुछ वर्षों बाद एनएचआरसी ने नई जांच कमीटी बैठाई। जिसमें लोहान के इनकाउंटर को फेक बताया गया।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि उन्हें अभी तक किसी तरह की आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। जबकि डीजी स्टेट ऋषि कुमार शुक्ला ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने काफी पहले पुलिस अधिकारी को गैलेंटरी सम्मान दिए जाने की सिफारिश बंद कर दी है।
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