भारत और चीन के बीच तकरीबन ढाई महीनों तक चला डोकलाम विवाद अब खत्म हो चुका है। इसे लेकर दोनों देश अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन इसकी सच्चाई दिन-प्रतिदिन परत दर परत सामने आ रही है। ब्रिक्स सम्मेलन से ठीक पहले डोकलाम समाधान जहां वैश्विक पटल पर भारत की जीत मानी जा रही है तो वहीं इसे चीन के लिए करारा झटका बताया जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि 73 दिनों तक चले डोकलाम विवाद को आखिर 3 घंटे में कैसे सुलझा लिया गया? फिर खराब हुई मेट्रो, एक घंटे से दो स्टेशनों के बीच खड़ी मेट्रो के एसी तक हुए बंद
ब्रिक्स देशों की सलाना बैठक में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी की यात्रा से पहले 27 अगस्त की देर शाम, चीन में भारतीय राजदूत विजय गोखले से चीनी अधिकारियों ने मिलने की बात कही। चीनी अधिकारियों ने पूछा की वह जल्द से जल्द कब मिल सकते हैं।
गोखले ने बताया कि वह इस वक्त हांगकांग में है और वह अगली रात से पहले बीजिंग नहीं पहुंच सकते। उन्होंने चीनी अधिकारियों को बताया कि अगर वह अभी किसी फ्लाइट से निकलते हैं, तो भी उन्हें पहुंचने में रात हो जाएगी। चीनी अधिकारियों ने गोखले से जल्द बीजिंग पहुंचने को कहा, इस बातचीत में चीन ने डोकलाम विवाद को सुलझाने का संकेत दे दिया था।
गोखले जब चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मिले तो उस वक्त सुबह के 2 बज रहे थे। दो से तीन के घंटे की बैठक में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से डोकलाम विवाद का हल निकाला, जिससे दोनों देशों के बीच नए संबंध की शुरुआत हो सके।
अगले दिन दोनों देश की सरकरा ने डोकलाम विवाद को हल करने की घोषणा की। यह घोषणा इस बात का सबूत थी कि दोनों देशों ने न केवल एक बेहद संवेदनशील मामले को हल कर लिया, बल्कि दोनों देशों के बीच समझ का भी एक बेहतरीन उदाहरण बना।
दोनों देशों ने इस बात पर हल निकाला कि आपसी साझेदारी के चलते सभी को फायदा होने वाला है। इस साझेदारी से दोनों देश तेजी के आगे बढ़ेंगे। यही वह मूल कारण थे जिसके चलते दोनों देशों ने डोकलाम विवाद को सुलझाया।