विवाह पंचमी के दिन ही भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस बार यह तिथि 23 नवंबर को है। भगवान राम और माता सीता के विवाह के कारण ही मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विशेष मानी जाती है। लेकिन भारत में कुछ जगहों पर खास तौर पर मिथिला क्षेत्र में विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी कन्याओं का विवाह इस तिथि को नहीं करते है।आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
भृगु संहिता में इस दिन को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त के रुप में बताया गया है। इसके बावजूद भी कुछ जगहों के लोग जैसे मिथिलावासी इस दिन अपनी बेटियों की शादी करना पसंद नहीं करते। इसके पीछे उनकी धारणा यह है कि इस दिन विवाह होने के कारण ही देवी सीता और भगवान राम को पूर्ण वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिला था। विवाह के बाद ही माता सीता को वनवास जाना पड़ा।
जब राम को राजा बनने का सौभाग्य मिलने वाला था तब देवी सीता को भगवान राम के संग वन में जाना पड़ा। जब वन से लौटकर राम अयोध्या के राजा बने तब राजधर्म निभाने के लिए राम को सीता से अलग होना पड़ा। देवी सीता मिथ्या कलंक के कारण वन में भेज दी गई।
इस दिन कई जगहों पर रामचरित मानस का पाठ भी करवाया जाता है, लेकिन यह पाठ राम-जानकी विवाह प्रसंग तक ही करते हैं। आगे का पाठ नहीं करते है ऐसा माना जाता है कि इसके आगे सीताजी को कष्टों का सामना करना पड़ा था, इसीलिए राम-जानकी विवाह जैसे शुभ प्रसंग के साथ ही पाठ का समापन कर देना चाहिए।