अरब जगत के सबसे अहम देश और दुनिया की कुल तेल संपदा के एक चौथाई हिस्से पर अधिकार रखने वाले सऊदी अरब का रुढिवादी समाज औचक बदलाव का ना तो हामी है और ना ही आदी। ऐसे में इस दिन जो कुछ हुआ, उसने एकबारगी इस देश और यहां के लोगों को हिला सा दिया। हालांकि, असामान्य सी हलचल को लेकर कुछ लोग अंदेशा लगा चुके थे कि राजधानी रियाद में कुछ खास होने वाला है।अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का हुआ एक साल पूरा, जानिए कैसा रहा व्हाइट हाउस में अबतक का दिन…
सऊदी अरब में दो बार भारत के राजदूत रहे तलमीज अहमद उस दिन के घटनाक्रम के बारे में कहते हैं, ” जब उन्होंने (शाही प्रशासन ने) होटल रिट्स कार्टन खाली करा लिया। तब कुछ लोगों को शुबहा होने लगा था कि आज कुछ होगा। इसके पहले कि आगे कोई कुछ और सोच पाता उन्होंने लोगों को हिरासत में ले लिया। “
हिरासत में लिए गए लोगों में से ज्यादातर हाई प्रोफाइल थे। इनमें 11 शहजादे, चार मंत्री और कई पूर्व मंत्री थे। ये कार्रवाई भ्रष्टाचार रोधी कमेटी के कहने पर हुई। बेशुमार अधिकार रखने वाली इस कमेटी का गठन सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज ने शनिवार यानी 4 नवंबर को ही किया और इसका चेयरमैन क्राउनप्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बनाया गया।
इस मामले में जिस तेजी के साथ कार्रवाई की गई उसे लेकर भी अंदेशे और अटकलें शुरू हो गईं। हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या को लेकर भी अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं। दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और मध्य पूर्व मामलों के विशेषज्ञ एके पाशा कहते हैं, “हमें बताया गया है कि सिर्फ 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है लेकिन मुझे दूसरे स्रोत्रों से जानकारी मिली है कि डेढ सौ से ज्यादा लोगों को पकड़ा गया है।”
अगर भ्रष्टाचार का मुद्दा सिर्फ बहाना है तो फिर बड़े लोगों की गिरफ्तारी की असल वजह क्या हो सकती है? सऊदी अरब की राजनीति पर नजर रखने वालों की नजर में ये क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान का सत्ता पर पूरा अधिकार हासिल करने का सोचा समझा और साहसिक तरीका है।
दो साल पहले किंग अब्दुल्लाह की मौत के बाद उनके सौतेले भाई सलमान बिन अब्दुल अजीज अल साउद ने सत्ता संभाली। उस वक्त तक अरब जगत के बाहर मोहम्मद बिन सलमान का नाम कम ही लोग जानते थे।
तलमीज अहमद कहते हैं, “पिछले दो सालों से जब से किंग सलमान गद्दी पर आए। तब से अपने छोटे लड़के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बहुत आगे लाए हैं। शाही परिवार के दो वरिष्ठ सदस्यों को हटाकर उन्हें क्राउन प्रिंस बनाया गया। शुरू से ही उनको डिफेंस मिनिस्टर की जिम्मेदारी दी गई। “
हालांकि, इन अटकलों को डोनल्ड ट्रंप के ट्वीट्स से बल मिला जिसमें उन्होंने किंग और क्राउन प्रिंस सलमान के कदमों का समर्थन किया। शनिवार को ही किंग सलमान ने नेशनल गार्ड्स के मंत्री प्रिंस मितब बिन अब्दुल्ला और नेवी के कमांडर एडमिरल अब्दुल्ला बिन सुल्तान को भी हटा दिया। मितब पूर्व किंग अब्दुल्लाह के बेटे हैं और इस परिवार के ऐसे इकलौते सदस्य हैं, जो किसी बड़े पद पर थे।
उन्हें हटाए जाने के बाद क्राउन प्रिंस का शासन की रक्षा, सुरक्षा और अर्थनीति पर एकछत्र वर्चस्व कायम हो गया लगता है।
वर्चस्व की लड़ाई
शाही खानदान में कथित और अघोषित वर्चस्व की लड़ाई पर चढ़ती रहस्य की परत उस वक्त गहरा गई जब रविवार देर शाम यमन से लगती सीमा पर एक हेलीकॉप्टर हादसा हुआ जिसमें आसिर प्रांत के डिप्टी गवर्नर प्रिंस मंसूर बिन मुकरिन की मौत हो गई।
मंसूर पूर्व इंटेलिजेंस प्रमुख मुकरिन बिन अब्दुल अजीज के बेटे थे, जो जनवरी और अप्रैल 2015 के बीच क्राउन प्रिंस थे। लेकिन उन्हें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के पिता किंग सलमान ने हटा दिया था।
एके पाशा के मुताबिक ‘मारे गए डिप्टी गवर्नर क्राउन प्रिंस के बड़े आलोचक थे’।
लंदन में एक होटल का मालिक होने के साथ उन्होंने न्यूजकॉर्प, सिटी ग्रुप और ट्विटर और एप्पल में निवेश किया है। अलवलीद ने घरेलू राजनीति पर कभी कोई विवादित बयान नहीं दिया लेकिन साल 2015 में वो एक बार डोनल्ड ट्रंप से ट्विटर पर उलझ चुके हैं।
तलमीज अहमद उनकी गिरफ्तारी को लेकर कहते हैं, “मुझे लगता है कि वो खरबपति हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहुंच है। वो ताकत का स्वतंत्र केंद्र बन सकते हैं। इनकी अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ कुछ तू-तू मैं-मैं भी हुई थी। “
तलमीज अहमद ये भी कहते हैं कि साल 1932 में किंग अब्दुल अजीज के सऊदी अरब की स्थापना करने के बाद से मुल्क में सत्ता का हस्तांतरण बहुत ही सहज रहा है। खानदान की कहानी में साजिशों के सिरे पहली बार तलाशे जा रहे हैं।
वो कहते हैं, “19 वीं शताब्दी में इस परिवार के अंदर बहुत मारकाट हुई थी। ये लोग रियाद से भगाए गए थे। अब्दुल अजीज 1903 में वापस आए। वो 1932 से 1953 तक किंग रहे। उन्होंने अपने बेटों से कहा कि आपस में कभी नहीं लड़ना। उसके बाद से ये परिवार बिल्कुल एकजुट रहा है। मैं पहली बार देख रहा हूं कि इस परिवार में अपनी महात्वाकांक्षा के लिए इतने वरिष्ठ लोगों के साथ इतनी बदसलूकी की गई है।”
एके पाशा ये भी कहते हैं कि क्राउन प्रिंस के तमाम मनमाने फैसलों का शाही परिवार में काफी विरोध है और उसे दबाने के लिए किंग सलमान बेटे के कहे मुताबिक फैसले ले रहे हैं। वो कहते हैं, “भ्रष्टाचार के आरोप सिर्फ मुखौटा है। ये सत्ता का संघर्ष है। क्राउन प्रिंस से पूरे उलेमा नाराज हैं। जिन्हें जेल में डाला गया है, वो सब बहुत मशहूर लोग हैं। उन्हें बहुत समर्थन हासिल है। मेरे ख्याल वो अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। जज, पत्रकार, आम लोगों, शियाओं और यमनी लोगों को जेल में डाल दिया गया है।”
पूरा अरब जगत संकट में
तलमीज अहमद भी कहते हैं कि ट्रंप की शह पर क्राउन प्रिंस सलमान पूरे अरब जगत को पटरी से उतारने में जुट गए हैं। उनकी राय में, “आलोचक कहते हैं कि क्राउन प्रिंस आवेश में फैसले लेते हैं। उनको ट्रंप का पूरा समर्थन है। दोनों का मिजाज एक सा है और दोनों पूरे इलाके को तहस नहस कर रहे हैं।”
सऊदी अरब सियासत की ये नाटकीय कहानी आगे क्या मोड़ ले सकती है, इस सवाल पर तलमीज अहमद कहते हैं, “शाही खानदान के कई लोग इससे काफी परेशान होंगे। लेकिन उस देश में कोई ऐसा इंतजाम नहीं है कि संगठित विरोध हो सके। किंग और क्राउनप्रिंस काफी शक्तिशाली होते हैं। उन्हें हटाना आसान नहीं होगा तो मैं ये नहीं बता सकता है कि आगे क्या होगा।”
लेकिन, एके पाशा मानते हैं कि ये कहानी डेड एंड पर नहीं पहुंची है। आगे कुछ अप्रत्याशित घटनाएं भी हो सकती हैं। वो कहते हैं, “विरोधी थोड़ी देर के लिए चुपचाप बैठेंगे लेकिन मौका मिलते ही बगावत उभरकर आएगी। या तो शिया बगावत करेंगे या फिर रॉयल फैमिली। क्राउन प्रिंस सलमान पर पहले भी एक हमला हो चुका है।” यानी पिचासी साल से सऊदी अरब की सियासत पर काबिज खानदान में लिखी जा रही संघर्ष और साजिश की इस कहानी में कई अनदेखे और अनजाने मोड़ आ सकते हैं।