आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में बनी कैथ लैब में दिमाग की डिजिटल एंजियोग्राफी भी शुरू हो गई। बृहस्पतिवार को मिर्गी के मरीज की पहली बार जांच हुई है। अब मरीजों को दूसरे शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. तरुणेश शर्मा ने बताया कि ओपीडी में मिर्गी का 32 साल का मरीज आया था। कैथ लैब में डिजिटल एंजियोग्राफी से मरीज को जटिल न्यूरोवैस्कुलर रोग की पुष्टि हुई। इसकी दिमाग की नस में गुच्छा मिला। इसके आगे की कड़ी में नस में तार डालकर इसे ठीक किया जाएगा। इससे दिमाग की ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कैथ लैब के प्रभारी डॉ. बसंत गुप्ता ने बताया कि कैथ लैब में हृदय की एंजियोग्राफी हो रही है। नए सॉफ्टवेयर अपलोड के बाद दिमाग की एंजियोग्राफी भी शुरू हो गई है। इसमें स्क्रीन पर दिमाग की नस का फटा होना, गुच्छा होना, रक्तस्राव होना समेत अन्य परेशानी को आसानी से देखा जा सकता है।
प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि निजी अस्पताल में दिमाग की डिजिटल एंजियोग्राफी करीब 50 हजार रुपये और तार से मर्ज ठीक करने में करीब 12-15 लाख रुपये का खर्च आता है। सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशांत लवानिया और न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव धाकरे ने बताया कि इससे स्ट्रोक, सड़क हादसे या फिर अन्य वजह से सिर में चोट लगने और दिमाग की नस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए बड़ी राहत मिलेगी।