आजम खां पर योगी सरकार की है नजर, शोध संस्‍थान देने की जांच का किया बड़ा फैसला..

आजम खां पर योगी सरकार की है नजर, शोध संस्‍थान देने की जांच का किया बड़ा फैसला..

यूपी सरकार ने सपा शासन में कद्दावर मंत्री रहे मो. आजम खां के ट्रस्ट को सरकारी मौलाना मुहम्मद अली जौहर शोध संस्थान दिए जाने की जांच कराने का फैसला किया है।आजम खां पर योगी सरकार की है नजर, शोध संस्‍थान देने की जांच का किया बड़ा फैसला..J&K में तनाव के बीच राज्यपाल की इस्तीफे की पेशकश, केंद्र से कही ये बात…

यह शोध संस्थान सपा सरकार ने नियमों को दरकिनार कर आजम के ट्रस्ट को लीज पर दिया था। खास बात यह है कि आजम ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री रहते हुए यह संस्थान अपने ट्रस्ट के नाम पर करवाया था।

दरअसल, आजम की नजर शुरू से ही इस संस्थान की बेशकीमती जमीन व भवन पर थी। इसलिए उन्होंने इस शोध संस्थान को अपने ट्रस्ट के नाम मात्र 100 रुपये सालाना लीज पर 30 साल के लिए करा लिया। सपा सरकार ने आजम को यह संस्थान कैबिनेट बाई सर्कुलेशन दिया था।

शोध संस्थान लेने के साथ ही आजम ने इसके उद्देश्यों में ही बदलाव करवा दिया। अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग का यह शोध संस्थान सूबे में उर्दू, अरबी व फारसी विषयों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था व शोध के लिए खोला गया था, लेकिन आजम ने इसमें उच्च शिक्षा को हटाकर प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा के विषयों को जोड़ दिया। प्रदेश में अब भाजपा सरकार है।

मंत्री मोहसिन रजा ने दिया जांच का आदेश

विभागीय मंत्री मोहसिन रजा के सामने जब यह मामला आया तो उन्होंने तत्काल इस गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी शोध संस्थान आजम के ट्रस्ट को देने के निर्णय के सभी पहलुओं की जांच की जाएगी। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

दूसरे अधिकारी को चार्ज देकर आजम ने कराया था आदेश
आजम के ट्रस्ट को सरकारी शोध संस्थान देने का उस समय विभाग के प्रमुख सचिव रहे देवेश चतुर्वेदी ने विरोध किया था। जब ज्यादा दबाव पड़ा तो वे लंबी छुट्टी पर चले गए। लेकिन उन्होंने फाइल पर लंबी-चौड़ी टिप्पणी कर दी।

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इसमें उन्होंने लिखा कि सरकारी शोध संस्थान किसी ट्रस्ट को नहीं दिया जा सकता है। इसके बाद विभाग में दूसरे सचिव की तैनाती की गई। शहरी विकास विभाग के सचिव एसपी सिंह को चार्ज देकर आजम ने यह संस्थान अपने ट्रस्ट को दिलवाया था।

इसके साथ ही जब फाइल पर हस्ताक्षर करने से सेक्शन अफसर व समीक्षा अधिकारियों ने इन्कार किया तो उनका भी तबादला दूसरे सेक्शन में कर दिया गया। फिर दूसरे सेक्शन के समीक्षा अधिकारी को लगाकर आदेश जारी कराया गया।

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