आज 24 अप्रैल को सोम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत एकसाथ पड़ रहे हैं। भगवान शिव को समर्पित दोनों उपवास के साथ आज सोमवार भी है। यह शुभ संयोग, निश्चय ही बदलेगा आपके बुरे दिन और जल्दी आएंगे अच्छे दिन। आज शिव शंकर की आराधना के लिए दिन और रात बेहद शक्तिशाली और फलदायी हैं। रूद्राभिषेक करने की खास वेला है। महीने में दो बार आने वाले शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत कहते हैं।
यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन व्रत रखने का विधान है। प्रदोष व्रत का महत्व कुछ इस प्रकार का बताया गया है कि यदि व्यक्ति को सभी तरह के जप, तप और नियम संयम के बाद भी गृहस्थ जीवन में दु:ख, संकट, क्लेश आर्थिक परेशानी, पारिवारिक कलह, संतानहीनता या संतान को जन्म देने के बाद भी यदि नाना प्रकार के कष्ट विघ्न बाधाएं, रोजगार के साथ सांसारिक जीवन से परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं, तो उस व्यक्ति के लिए प्रति माह में पडऩे वाले प्रदोष व्रत पर जप, दान, व्रत इत्यादि पुण्य कार्य करना शुभ फलप्रद होता हैं।
ज्योतिष कि द्रष्टि से जो व्यक्ति चंद्रमा के कारण पीड़ित हो उसे वर्ष भर प्रदोष व्रतों पर चहे वह किसी भी वार को पड़ता हो उसे प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिये। प्रदोष व्रतों पर उपवास रखना, लोहा, तिल, काली उड़द, शकरकंद, मूली, कंबल, जूता और कोयला आदि दान करने से शनि का प्रकोप भी शांत हो जाता हैं, जिस्से व्यक्ति के रोग, व्याधि, दरिद्रता, घर कि अशांति, नौकरी या व्यापार में परेशानी आदि का स्वत: निवारण हो जाएगा।
संतानहीन दंपत्तियों के लिए इस व्रत पर घर में मिष्ठान या फल इत्यादि गाय को खिलाने से शीघ्र शुभ फल की प्राप्ति होती है। संतान कि कामना हेतु प्रदोष व्रत के दिन पति-पत्नी दोनो प्रात: स्नान इत्यादि नित्य कर्म से निवृत होकर शिव,पार्वती और गणेशजी कि एक साथ में आराधना कर किसी भी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जलभिषेक, पीपल के मूल में जल चढ़ाकर सारे दिन निर्जल रहने का विधान हैं।