धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को ज्योतिष में न्यायाधीश का पद दिया गया है। माना जाता है कि मनुष्य के हर अच्छे-बुरे कार्य का फल शनिदेव ही देते हैं। इसलिए शनि की दशा या साढ़ेसाती लगते ही व्यक्ति के अच्छे या बुरे दिन शुरु हो जाते हैं और जिसके जैसे कर्म होते हैं, उसे वैसा ही भाग्य भोगना पड़ता है
जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। किसी भी काम में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, धन संबंधी कामों में बाधाएं आती हैं, जिनकी वजह से गरीबी का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं…
सप्ताह के सातों दिनों के लिए अलग-अलग कारक ग्रह बताए गए हैं। शनिवार का स्वामी ग्रह है शनि। इस दिन शनि के विशेष उपाय करने से कुंडली के बहुत से दोष दूर हो सकते हैं।
पहला उपाय
शनिवार को उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसकी माला बनाएं। इसके बाद ये माला शनिदेव को चढ़ाएं और कुछ देर बाद इस काले धागे की इस माला को गले में धारण करें। अगर आप चाहें तो इस दाहिने हाथ में भी बांध सकते हैं। इस प्रयोग से भी शनि का प्रकोप कम हो सकता है।
दूसरा उपाय
हर शनिवार व्रत रखें। सूर्यास्त के समय हनुमानजी की पूजा करें। पूजा में सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, तेल का दीपक और नीले फूल चढ़ाएं। हनुमानजी के भक्तों पर शनि के अशुभ योगों का असर नहीं होता है।
तीसरा उपाय
शनिवार को बंदरों को और काले कुत्तों को लड्डू खिलाएं। इस उपाय से हनुमानजी के साथ ही शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।
चौथा उपाय
शनिवार को किसी काली गाय की पूजा करें। गाय को कुमकुम, चावल चढ़ाएं। बूंदी के लड्डू खिलाएं और गाय की परिक्रमा करें। गाय की पूजा करते समय सावधानी अवश्य रखें। इस उपाय से शनि के दोष दूर हो सकते हैं।
पांचवां काम
शनिवार को एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद तेल का दान किसी गरीब व्यक्ति को कर दें
छठवा उपाय
सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगायें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी सुनसान स्थान पर रख आयें
सातवां उपाय
सुबह प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
आठवा उपाय
शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसो के तेल का दीपक लगायें और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।