गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत शुरू की गई इलेक्ट्रानिक वे बिल (ई-वे बिल) व्यवस्था रविवार से देशभर में लागू हो गई है. फिलहाल ई-वे बिल प्रणाली को पचास हजार रुपये से अधिक के सामान को सड़क, रेल, वायु या जलमार्ग से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लागू किया गया है.
11 लाख ट्रांसपोर्ट्स ने कराया रजिस्ट्रेशन
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि अगले दो हफ्तों में इसे राज्यों के भीतर भी माल की ढुलाई के लिए लागू कर दिया जाएगा. जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुख्य कार्यकारी प्रकाश कुमार ने कहा कि करीब 11 लाख व्यवसायों और ट्रांसपोर्टरों ने ई-वे बिल प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराया है.
कितनी होगी ई-वे बिल की वैधता
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि यह उन मामलों में भी लागू होगा जहां यात्रा रुक-रुक कर पूरी होगी और माल ढुलाई में एक से अधिक ट्रांसपोर्टर शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि ई-वे बिल की वैधता अवधि को उस दिन से गिनी जाएगा जब जीएसटी फार्म ई-वे बिल-01 के भाग- बी में ट्रांसपोर्टर पहली बार ब्यौरा भरेगा. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि माना कोई कारोबारी फार्म जीएसटी ई-वे बिल-01 में शुक्रवार को भाग-ए में ब्यौरा भरता है और अपना माल ट्रासंपोर्टर के हवाले कर देता है. इसके बाद ट्रांसपोर्टर यदि माल को सोमवार को रवाना करता है और जीएसटी ई-वे बिल-01 के भाग-बी को भरता है तो उसकी वैधता अवधि सोमवार से ही गिनी जाएगी.
जीएसटी परिषद द्वारा मंजूर किए गए नियमों के मुताबिक 100 किलोमीटर से कम दूरी तय करने पर ई-वे बिल संगत तिथि से एक दिन के लिए वैध होगा. इसके बाद प्रत्येक 100 किलोमीटर के लिए संगत तिथि से वैधता एक अतिरिक्त दिन के लिए होगी.
नहीं होगी जीएसटी में धोखाधड़ी
बता दें कि सरकार ने इससे पहले एक फरवरी से ई-वे बिल प्रणाली को लागू किया था लेकिन पोर्टल में बाधा होनें की वजह से इसके क्रियान्वयन को रोक दिया गया था. ई-वे बिल को जीएसटी में राजस्व चोरी रोकने के एक बड़े उपाय के तौर पर माना जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने फरवरी में हुई बैठक में अंतरराज्यीय माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल प्रणाली के क्रियान्वयन की तिथि 1 अप्रैल रखने की सिफारिश की थी.