दुनिया की पहली परमाणु पनडुब्बी का निर्माण अमेरिका ने किया था। 60 के दशक में इस पनडुब्बी ने अमेरिका की ताकत में काफी इजाफा किया था। लंबे समय तक पानी में रहने और तेज गति से चलने में सक्षम इस पनडुब्बी ने 26 साल तक अपनी सेवाएं दीं। क्यूबा मिसाइल संकट के वक्त भी अमेरिका ने इस पनडुब्बी को तैनात करके दबाव बनाने की कोशिश की थी।
आज यानी 30 सितंबर को ही दुनिया को परमाणु शक्ति से चलने वाली पहली पनडुब्बी मिली थी। इस पनडुब्बी का नाम ‘यूएसएस नॉटिलस’ था। 21 जनवरी 1954 को इस पनडुब्बी को अपना नाम ‘यूएसएस नॉटिलस’ मिला था। इसके बाद इसी साल 30 सितंबर को इसे अमेरिकी नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था।
सात साल में अमेरिका ने किया था निर्माण
26 साल की सेवा के बाद नॉटिलस को 3 मार्च 1980 में सेवामुक्त कर दिया गया था। खास बात यह है कि उत्तरी ध्रुव तक पहुंचने वाली यह दुनिया की पहली पनडुब्बी थी। अमेरिका को इसे तैयार करने में सात साल का समय लगा था। 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के वक्त अमेरिका ने इस पनडुब्बी को भी तैनात किया था।
लंबे समय तक पानी में रहने में थी सक्षम
इस पनडुब्बी के बेड़े में शामिल होने से अमेरिकी नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ था। परमाणु शक्ति से संचालित होने की वजह से यह लंबे समय तक पानी के नीचे रहने में सक्षम थी। डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के मुकाबले इसकी स्पीड भी अधिक थी।
1955 में शुरू की थी पहली यात्रा
यह पनडुब्बी 319 फुट लंबी थी। इसका वजह 3,180 टन था। पनडुब्बी में कुल 104 लोगों का दल सवार हो सकता था। नॉटिलस ने अपनी पहली यात्रा 17 जनवरी 1955 को शुरू की थी। 1982 में इस पनडुब्बी को राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल घोषित कर दिया गया था।
किस देश के पास कितनी परमाणु पनडुब्बी
अमेरिका के पास सबसे अधिक 68 परमाणु पनडुब्बिया हैं। रूस के पास 29, चीन के पास 12, ब्रिटेन के पास 11, फ्रांस के पास 8 और भारत के पास दो परमाणु पनडुब्बियां हैं। भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत है। इसे साल 2009 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 6,000 टन इसका कुल वजन है। भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात है। अरिघात को इसी साल अगस्त में शामिल किया गया।