आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। आज बुधवार दिन है, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रात में चंद्रोदय के समय रहना चाहिए। आज के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है, घर में शुभता का वास होता है। आइए जानते हैं कि संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा, व्रत विधि एवं मुहूर्त क्या है?
श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी का मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ आज सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है, जो 09 जुलाई दिन गुरुवार को सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक है।
गणेश चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि
चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। फिर चतुर्थी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थान को साफ कर लें। गणेश जी को लाल वस्त्र अर्पित कर 21 दूर्वा, लड्डू, बेलपत्र, फल, पंचमेवा, पान, सुपारी, अक्षत्, रोली, फूल, धूप, गंध आदि चढ़ाएं। गणेश जी आरती करने के बाद उगते चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को अर्घ्य जरूर दें। इसके पश्चात श्रीगणेश जी को प्रणाम करके मीठा भोजन कर व्रत को पूर्ण करें। इस व्रत को कम से कम 1 वर्ष या 3 वर्ष करने की परंपरा है।
श्रीगणेश मंत्र
गणेश जी की पूजा प्रारंभ करने से पूर्व नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन भगवान श्रीगणेश जी की पूजा करने से उनके माता—पिता भगवान शिव और मां पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान गणेश उनके पुत्र हैं, उनकी पूजा से शिव और शक्ति दोनों ही प्रसन्न होते हैं। गणेश जी की पूजा के समय आप भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें, यह उत्तम होगा।
कहा जाता है कि जब कठोर तप के बाद भी भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए तब माता पार्वती ने इस व्रत को किया, जिसके बाद शिव और शक्ति का विवाह हुआ।
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