आज है सावन की शिवरात्रि, इस तरह करें भोलेनाथ की आराधना

 सावन में भोले भक्ति से घर-घर गूंजता है। 19 जुलाई यानी आज सावन की शिवरात्रि है जिसका सावन में आने से महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। अगर इस दिन सच्चे मन से व्यक्ति भोलेनाथ को याद करता है तो उसे विशेष फल मिलता है। साथ ही भोलेनाथ का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस दिन अगर आप शिवलिंग पर बेलपत्र और जलाभिषेक करते हैं तो इसका फल व्यक्ति को अवश्य मिलता है। यहां हम आपको शिवरात्रि की पूजा कैसे की जाए इसकी जानकारी दे रहे हैं।

इन चीजों की होगी आवश्यकता:

तांबे का पात्र, सूखे मेवा, धूपबत्ती, दूध, वस्त्र, लोटा, चावल, अष्टगंध, दीपक, मिठाई, तेल, रुई, चंदन, धतूरा, नारियल, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर), पान, दक्षिणा।

इस तरह करें शिवरात्रि की पूजा: 

सुबह उठकर नित्यकार्य कर निवृत हो जाएं। फिर एक शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। अपने पास उपरोक्त सभी पूजन-सामाग्री को रखें। साथ ही रक्षादीप जला लें। इसके बाद आपको स्वस्ति पाठ करना होगा। पढ़ें स्वस्ति पाठ: स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु। यह पाठ करने के बाद पूजा का संकल्प लें। फिर गणेश जी और माता पार्वती जी का स्मरण करें। इसके बाद एक साफ थाल में भगवान शिव की प्रतिमा को बैठाएं और उन्हें गंगाजल स्नान, दही स्नान, घी स्नान और शहद से स्नान कराएं। फिर पंचामृत से स्नान कराएं। फिर शिव जी को वस्त्र पहनाएं। फिर उन्हें बेलपत्र, फूल, इत्र और माला को चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं। भोग में आप फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ा सकते हैं। इसके बाद शिव की आरती करें। अंत में शिव जी से क्षमा याचना करें। इसका मंत्र: आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर: है।

अगर आप आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान इस दिन आयोजित कर रहे हैं तो आपको नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना आवश्यक होता है।

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