बीजेपी सरकार के तीन साल पूरे करने के बाद एक बार फिर पीएम मोदी दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमरिका चले हैं. ये प्रधानमंत्री का पांचवा अमेरिकी दौरा है मगर वो पहली बार अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे. ज़ाहिर है मोदी के पास ओबामा के जाने के बाद भारत अमेरिका के रिश्तों में आई सुस्ती को चुस्त दुरुस्त करने का बड़ा मौका है. सूत्रों की मानें तो भारत के सरहद पार आतंकवाद और भारत की अफगानिस्तान में सराहनीय भूमिका का ज़िक्र ज्वाइंट स्टेटमेंट में हो सकता है.
26 तारीख को दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र और सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया आमने सामने होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पीएम मोदी इससे पहले तीन बार फोन पर बात कर चुके हैं मगर पहली बार दोनों नेता मिल रहे हैं. दोनों नेताओं के बेबाक और मिलनसार अंदाज़ को देखते हुए रिश्तों के गर्माहट आ सकती है. ऐसे में कूटनीतिक नज़रिये से ये मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण है.
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पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले अमेरिकी प्रतिनिधी सभा के दो सदस्यों ने पाकिस्तान का गैर नेटो साझेदार का दर्जा खत्म करने का विधेयक पेश किया है. ज़ाहिर है इससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी और भारत के लिए ये अच्छी खबर है. ट्रम्प प्रशासन ने भी पकिस्तान में पनप रहे हक्कानी नेटवर्क और अन्य आतंकी संगठनों पर रुख कड़ा किया है.
ऐसे में ट्रंप और मोदी के बीच बातचीत भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत कर सकते हैं. मुमकिन है कि किसी नए संगठन या आतंक के आका पर बैन पर सहमति बने. वहीं सूत्रों के मुताबिक सरहद पार से पैदा होनेवाले आतंकवाद और भारत के अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय भूमिका का भी ज़िक्र ज्वाइंट स्टेटमेंट में किया जा सकता है.
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दोनों देशों के बीच समरिक और आर्थिक पटल पर कुछ नए कदम बढ़ाने की घोषणा हो सकती है. दोनों ही इस क्षेत्र में एक दूसरे को आदान प्रदान करते रहे हैं. ए-1बी वीज़ा को लेकर ट्रम्प के नए आदेश को लेकर भी भारत की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. गौरतलब है ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति की तहत एच1बी वीज़ा के नियमों के विश्लेषण का आदेश जारी हुआ है.
मोदी ट्रंप से इस विषय में भारत की चिंता ज़ाहिर कर सकते हैं. वहीं ट्रम्प के आने के बाद से भारतीयों पर लगातार बढ़ते हमलों को लेकर भी मोदी अभी तक खामोश हैं. हालांकी इस दौरे पर पेरिस समझौते का भी साया मंडरा रहा है. ट्रंप ने अमेरिका के वाकआउट के लिए चीन और भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था. चुनौती पीएम मोदी के सामने पिछले तीन साल की मित्रता को को और मज़बूत करने की है.