पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति के बीच आधार को लेकर शुक्रवार को बहस हो गई। जहां वकील से नेता बने चिदंबरम ने एक उदारवादी दृष्टिकोण को रखते हुए इस पर चिंता जताई, वहीं नारायणमूर्ति का कहना था कि निजता की रक्षा के लिए संसद को कानून बनाने की जरूरत है।Breaking News: राजस्थान के सवाई माधोपुर में यात्रियों से भरी बस बनास नदी में गिरी….
आईआईटी बांबे के एक कार्यक्रम में केद्र के हर जरूरी चीज को आधार से जोड़ने के कदम पर चिदंबरम ने कहा, सरकार पूरी तरह बहरी हो गई है। वह कुछ नहीं सुनना चाहती। वह इस धरती की हर चीज को आधार से जोड़ने पर आमादा है। वहीं नारायण मूर्ति ने कहा कि किसी भी दूसरे आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस की तरह हर व्यक्ति की पहचान रखे जाने की जरूरत है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस पहचान से किसी व्यक्ति की निजता का हनन न हो।
वहीं चिदंबरम का कहना था कि हर लेनदेन को आधार से जोड़ने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह इस देश को ‘ओर्विलियाई देश’ में बदल देगी। यह एक उदार लोकतंत्र के आदर्शों और खुले समाज के साथ समझौता करने जैसा है। उन्होंने कहा, अगर आप जवान पुरुष अथवा महिला हैं और निजी छुट्टी पर कहीं जाना चाहते हैं, भले ही दोनों की शादी न हुई हो तो इसमें हर्ज क्या है।
अगर कोई जवान शख्स गर्भ निरोधक खरीदना चाहता है तो उसे अपना आधार अथवा पहचान बताने की आवश्यकता क्यों है? सरकार यह क्यों जानें कि मैंने कौन सी दवा ली है? मैं किस सिनेमाघर अथवा होटल में जा ठहर रहा हूं। या मेरे दोस्त कौन हैं? अगर मैं सरकार में होता तो इस जानने का विरोध करता कि कोई व्यक्तिगत जीवन में क्या कर रहा है?
इसका जवाब देते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि मैं आपसे सहमत नहीं हूं। जिन चीजों के बारे में आप बात कर रहे हैं, वो गूगल के जरिये पहले से ही उपलब्ध हैं। इस पर चिदंबरम ने कहा, आज कई एजेंसियां हैं, जो आधार मांगती हैं। यहां तक कि शवदाहगृह में भी आधार मांगा जा रहा है। हालांकि चिदंबरम ने साफ किया कि वह आधार को पहचान नंबर बनाने या सब्सिडी खातों तक पहुंचाने के लिए लिंक करने के विरोधी नहीं हैं।
नारायण मूर्ति ने कहा कि हमें आधार को ‘रद्दी’ में नहीं फेंक देना चाहिए। उन्होंने संसद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सांसद निजता के लिए कोई कानून लेकर नहीं आ पा रहे। ताकि लोगों के व्यक्तिगत डाटा की रक्षा की जा सके। हालांकि लंबी बहस के बाद दोनों में एक मुद्दे पर सहमति बन गई। मूर्ति ने कहा, जब तक निजता की सुरक्षा के लिए कानून है, कोई दिक्कत नहीं हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि आपको फिल्म का टिकट बुक करने या दूसरे कामों के लिए आधार की आवश्यकता है। इस पर हामी भरते हुए चिदंबरम ने भी कहा कि वह नारायण मूर्ति से सहमत हैं।