केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार (AADHAAR) को लेकर छिड़ी बहस पर नई दलील दी है. उन्होंने कहा कि प्राइवेसी के नाम पर इनोवेशन (नवाचार) की हत्या नहीं की जानी चाहिए. दरअसल, केंद्र सरकार सभी कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ती जा रही है, जिसका काफी लोग विरोध कर रहे हैं.
इनका कहना है कि आधार सुरक्षित नहीं हैं. यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. हाल ही में आधार डाटा के लीक होने की भी खबरें आ चुकी हैं. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक रविशंकर ने एक सवाल के जवाब में यह भी आश्वासन दिया कि आधार नहीं होने पर किसी को कल्याणकारी योजना का फायदा उठाने से वंचित नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चिंता इसी बात की ही जताई जा रही है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड जरूर करने से गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हालांकि ऐसा नहीं हैं. किसी गरीब को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से खाद्य पदार्थ देने से इनकार नहीं किया जाएगा. सरकार ने पहले भी इस पर अपना रुख साफ कर चुकी है. अगर आधार का बायोमैट्रिक डाटा मैच नहीं करता है, तो आधार नंबर लिखकर ही राशन बांट दिया जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बायोमैट्रिक डाटा के मिसमैच के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आए हैं, जिसको लेकर पूरे आधार सिस्टम को गड़बड़ नहीं बताया जा सकता है. आधार डाटा के दुरुपयोग होने की आशंका से जुड़े सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर कोई आधार डाटा का दुरुपयोग करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मालूम हो कि इस साल जनवरी में एक अंग्रेजी अखबार ने आधार डाटा लीक होने की खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद से हड़कंप मच गया था. इस खबर को करने वाली पत्रकार पर भी एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसको लेकर सरकार की तीखी आलोचना हुई थी. इंटरनेट की दुनिया में अपने खुलासों से सभी को चौंकाने वाले कंप्यूटर प्रोफेशनल एडवर्ड स्नोडेन ने भी अखबार की इस रिपोर्ट का समर्थन किया है.
उन्होंने कहा था कि जिस पत्रकार ने आधार लीक मामले को उजागर किया है, वह अवॉर्ड का हकदार है. अगर सरकार इस मामले में चिंतित है, तो उसे अपनी आधार को लेकर उन नीतियों में सुधार करना चाहिए, जिसने करोड़ों लोगों की निजता को खतरे में डाला है. उन्होंने लिखा कि अगर किसी को गिरफ्तार करना ही है, तो वो UIDAI ही है.
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