यूआइडीएआइ ने आधार में बड़े बदलाव का फैसला लिया है। इससे आधार को अब और सुरक्षित बनाया जा सकेगा। इस नई एप्लीकेशन को जोडऩे के लिए पिछले काफी समय से कवायद चल रही थी। अभी तक अंगुलियों के निशान और रेटिना को स्कैन करके आधार बनाया जा रहा है। आवेदक की यदि अंगुलियों के निशान नहीं स्कैन होते हैं तो आधार नहीं बन पाता है।
अब वापस नहीं होंगे आवेदक
अंगुलियों के निशान नहीं मिल पा रहे या फिर रेटिना को स्कैन करने में दिक्कत आ रही हो, आधार एजेंसिया आवेदकों को वापस नहीं लौटाएंगी। अब फिंगर प्रिंट और रेटिना के बिना भी आधार कार्ड बनाया जा सकेगा। आधार आवेदन करने वालों का डाटा एकत्रित करने वाली एजेंसियां पहले एक भी समस्या होने पर आवेदक को वापस कर देती थीं। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एवं इंफॉरमेशन टेक्नालॉजी व यूआइडीएआइ ने तय किया कि अब एजेंसियां किसी को भी वापस नहीं करेंगी। रेटिना और फिंगर प्रिंट मिलान न होने पर भी अब आधार जारी हो सकेंगे।
यूआइडीएआइ की ऑथेंटिकेशनमशीन बुजुर्गों, कंप्यूटर पर काम करने वालों समेत कई लोगों के फिंगर प्रिंट और रेटिना का डाटा स्कैन नहीं कर पा रही थी। इससे आधार कार्ड बनाने में मुश्किलें आ रही थीं। शिकायतें मिलने पर यूआइडीएआइ के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल यशवंत कुमार ने आधार कार्ड बनाने के लिए फेस ऑथेंटिकेशन को नए विकल्प के रूप में रख सर्कुलर जारी किया।
यूआइएडीआइ (यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने फेस डिटेक्शन किट से चेहरे की स्केल मैपिंग करने का निर्णय लिया है। संस्था एजेंसियों को साफ्टवेयर डेवलपमेंट किट उपलब्ध कराएगी। यूूआइडीएआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑथेंटिकेशन यूजर्स एजेंसी (प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियां) को साफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसकेडी) और रजिस्टर्ड डिवाइस (आरडी) उपलब्ध कराई जाएंगी।