अगर आपके परिवार में कोई मानसिक रोगी है तो उसे पूर्णमासी की रात घर पर बिल्कुल अकेला न छोड़ें। लगातार उसे अपनी निगरानी में रखें। उसके साथ बातचीत करते रहें वरना उसकी सेहत और बिगड़ सकती है।
चिकित्सकों के अनुसार पूनम का चांद मानसिक बदलाव के साथ नकारात्मक सोच भी विकसित करता है। खासकर ये चांद मनोरोगियों को बेसब्र और बेचैन बना देता है। मनोरोगियों में इस तरह के आए बदलाव को ‘ल्यूनेटिक बिहेवियर’ कहते हैं। सावधानी के हैं 72 घंटे
डाक्टरों के मुताबिक मनोरोगियों पर पूर्णमासी का 72 घंटे तक असर रहता है। ये बहत्तर घंटे उनके लिए खतरनाक होते है। इस दौरान उनकी हरकतें भी असामान्य होती है। अधिक बोलने लगते हैं। अपने को बलशाली भी समझने लगते हैं। मरीज आत्महत्या करने की कोशिश करता है।
पूर्णमासी पर इन घटनाओं में इजाफा
– जेलों में कैदियों की आपसी लड़ाई की आशंका
– वाहन चालकों पर भी असर, दुर्घटनाओं में वृद्धि
– कुत्तों में हिंसक वृत्ति बढ़ती है, काटने में इजाफा
– आत्महत्या की घटनाओं में भी वृद्धि देखी गई है
– मनोरोगियों का डिप्रेशन (अवसाद) बढ़ जाता है
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