नई दिल्ली. संसद में एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में रेलवे की कायाकल्प की दिशा में भी बड़े ऐलान होने की संभावना है, जिसमें रेलवे को घाटे से उबारने के उपाय भी शामिल हो सकते हैं। वहीं देश में लगातार हो रहे रेल हादसों से चिंतित मोदी सरकार के लिए इस बजट में रेलवे सुरक्षा और संरक्षा का मुद्दा भी बड़ी चुनौती हो सकता है। देश के इतिहास में पहली बार रेल बजट को आम बजट में समायोजित किया गया है, लिहाजा एक फरवरी को पेश किये जाने वाले बजट में ही रेलवे संबन्धी योजनाओं और उसके बजटीय प्रावधानों की घोषणा की जानी है। हालांकि मोदी सरकार ने रेल यात्रियों की सुविधाओं की दिशा में पिछले रेल बजटों के दौरान बड़े ऐलान किये हैं, लेकिन जहां रेल यात्रियों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकी हैं।
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कुछ खास योजनाओं का ऐलान
रेलवे की देश में बुलेट ट्रेन, टेल्गो ट्रेन और सेमी हाई स्पीड जैसी कई तेज गति की ट्रेन चलाने की कवायद में जुटी सरकार के सामने लगातार हो रहे रेल हादसें बेहद चिंता का कारण बने हुए हैं। इसलिए इस चुनौती को देखते हुए सुरक्षा-संरक्षा को मजबूत करने की दिशा में वित्त मंत्री अरुण जेटली के पिटारे से रेलवे के लिए कुछ खास योजनाओं का ऐलान भी बाहर आ सकता है। सूत्रों के अनुसार आम बजट में रेल गति, सुरक्षा और संरक्षा की चुनौती से पार पाने के लिए विशेष सुरक्षा कोष में भारी-भरकम रकम का बजटीय प्रावधान किया जा सकता है। इस बजट में मोदी सरकार अर्थशास्त्री विवेक देबराय वाली समिति की सिफारिशों पर भी गौर कर सकती है, जिसके तहत रेलवे के पुर्नगठन को लेकर रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय को पृथक करने की घोषणा हो सकती है।
बन सकता है रेलवे खुफिया तंत्र
रेलवे के सूत्रों की की माने तो रेल हादसों के पिछे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के उजागर होने के बाद सरकार के पास सुरक्षा व संरक्षा को ज्यादा मजबूत करने की चुनौती है। इसलिए इस आम बजट में रेलवे का अलग से खुफिया तंत्र बनाने का प्रस्ताव भी सरकार के सामने है। इस रेलवे के इस तंत्र के साथ स्थानीय खुफिया विभाग, पुलिस, सर्तकता विभाग, जीआरपी आदि सुरक्षा एजेंसियों के साथ डीआरएम-जीएम स्तर पर सूचनाएं आदान प्रदान करने की व्यवस्था का प्रावधान करने की घोषणा की जा सकती है। देश के प्रमुख रेल मार्गो पर रेल पटरियों पर घुसपैठ और पटरियों पर पशुओं के प्रवेश रोकने की दिशा में सुरक्षा की दृष्टि से रेल लाइनों की दोनों ओर बाड़बंदी, रेल मार्गों तथा पुलों की मजबूती के लिए विशेष पर्याप्त कोष आवंटन घोषणा कर सकती है। रेलवे ने संकेत दिये है कि आम बजट 2017-18 में रेलवे होल्डिंग कंपनी बनाने का भी प्रस्ताव का ऐलान किया जा सकता है।
रेल गति बढ़ाने का प्रस्ताव
केंद्र सरकार रेल यात्रा को अधिक तीव्र और सुरक्षित बनाने की कवायद में जुटी है। ऐसे में भारतीय रेल की गतिविधियों, प्रस्तावित बड़ी परियोजनाओं और रेलवे के आय व्यय का मोटा ब्योरा शामिल हो सकता है। भारतीय रेल प्रमुख मार्गों पर गाड़ियों की गति 160 किलोमीटर तक बढ़ाने के उपाय करने में लगी है। इसके अलावा सुरक्षित बुनियादी ढांचें को मजबूत करने की दिशा में भारतीय रेलवे को देशभर में पुराने ट्रैक को बदलने, सिग्लन प्रणाली का आधुनिकीकरण करने, ज्यादा शक्तिशाली विद्युत लाइनें बिछाने, नई तकनीक के टक्कर रोधी उपकरण लगाने, स्लीपर बदलने, प्वांइट मजबूत बनाने, मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर आरओबी-आरयूबी बनाने का काम पूरा करने की दरकार है।
रेल यात्रियों की सुविधाएं
आम बजट के इतिहास में पहली बार जब रेल बजट भी शामिल है तो रेल यात्रियों की नजरे भी एक फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट पर होगी। रेल यात्रियों को बेहतर रेल सफर और सुविधाओं की दरकार है। हालांकि रेलवे स्टेशनों ओर ट्रेनों में बेहतर सुविधाएं भी देने का प्रयास जारी है, लेकिन यात्रियों की इसके साथ सुरक्षा और संरक्षा को मजबूत करने की भी अपेक्षाएं हैं। वहीं इस बजट में यात्रियों की जेबों पर भारी पड़ रहे डायनामिक फेयर सिस्टम को ज्यादा सुविधाएं करने की भी उममीद है। रेलवे का वाटर वेंडिंग मशीनों को अधिक से अधिक स्टेशनों पर लगाने काम को तेज करने के अलावा साफ-सफाई, शौचालय निर्माण, खानपान की गुणवत्ता, चलती रेल में सुरक्षा खासकर महिला यात्रियों के साथ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के उपाय करने की दरकार यात्रियों को है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को भी बेहतर सुविधाओं की अपेक्षा है।
डिजिटल इंडिया को बढ़ावा
रेलवे ने वर्ष 2016 के रेल बजट में सभी ए कैटिगरी स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा देने का ऐलान हुआ, जिसके बाद डिजिटल इंडिया के तहत बी कैटिगरी के स्टेशनों को भी शामिल करना था, लेकिन गत दिसंबर 2016 तक मात्र 110 स्टेशनों पर वाई फाई की सुविधा देने के दावे किये गये हैं। बजट में कहा गया था कि पिछले साल 120 नए स्टेशनों की तुलना में 650 नए स्टेशनों पर टॉइलट्स का निर्माण किया जाएगा। अबतक 407 अतिरिक्त स्टेशनों पर टॉइलट्स बना लिए गए हैं और 31 मार्च 2016 तक लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।
रेलवे नहीं बढ़ा सकी आय
रेलवे विशेषज्ञों की माने तो पिछले साल 2016 रेल बजट में अपनी आय बढ़ाने में रेलवे खरा नहीं उतर पाया है। मसलन रेलवे की आर्थिक सेहत सुधारने के सभी उपाय कारगर साबित नहीं हो सके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पिछले बजट में रेलवे ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए आॅपरेटिंग रेश्यो का लक्ष्य 92 रखा था, लेकिन इस साल आमदनी और माल-भाड़े में कमी रहने के कारण यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। वहीं पिछले बजट में नॉन-फेयर रेवेन्यू बढ़ाने के मामले में ट्रेनों की ब्रांडिंग के अलावा तीन हजार रेलवे स्टेशनों पर डिस्प्ले नेटवर्क बनाने के साथ विज्ञापनों, रेलवे की प्रॉपर्टीज आदि के जरिए आय बढ़ाने की योजना थी, लेकिन यह योजना कंसल्टेंट की नियुक्ति के बावजूद इस आगे नहीं बढ़ाया जा सका।