कल यानी 7 अप्रैल को आम आदमी को बड़े झटके मिले। केंद्र सरकार ने एलपीजी सिलेंडर के दामों में इजाफा की घोषणा की। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल में लगने वाले उत्पाद शुल्क में भी 2-2 रुपये की बढ़ोतरी की।
हालांकि इसका असर आज पेट्रोल-डीजल के दामों में देखने को नहीं मिला है। आज 8 अप्रैल को पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बदलाव दर्ज नहीं किया गया है। इसके साथ ही कल भारतीय शेयर बाजारों के लिए भी ब्लेक मंडें रहा।
ऐसे में आरबीआई के रेपो रेट में होने वाली कटौती आम आदमी को राहत देने का काम कर सकती है।
देश की केंद्रीय बैंक, एक साल हर दो महीने बाद मौद्रिक समिति की बैठक आयोजित करती है। इस बैठक में भविष्य में रेपो रेट और अन्य वित्तीय संबंधित निर्णय लिए जाते हैं।
आपकी जेब क्या होगा असर ?
बैंकों पर असर- रेपो रेट (Repo Rate) वाणिज्यिक बैंकों के लिए लोन के ब्याज दर की तरह का काम करता है। इसके जरिए बैंक आरबीआई से शॉर्ट टर्म लोन लेते हैं। इस लोन को एक समय सीमा के हिसाब से दिया जाता है। लेकिन अगर बैंकों को लंबे समय के लिए लोन लेना है, तो वे बैंक रेट के हिसाब से लेते हैं।
आम आदमी पर प्रभाव- अगर बैंकों को कम ब्याज दर पर लोन मिल जाता है, तो वे आम आदमी को भी कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर सकते हैं। वहीं फिक्सड डिपॉजिट में मिलने वाला फलोटिंग इंटरेस्ट रेट का भी इस पर असर पड़ता है। बैंक हर व्यक्ति को दो अलग-अलग ब्याज दर फिक्स और फलोटिंग पर लोन ऑफर करता है।
हालांकि फलोटिंग रेट अस्थिर रहते हैं, वहीं फिक्स रेट में कम बदलाव होते हैं। इन दोनों ही ब्याज दरों पर रेपो रेट का इंडायेक्ट प्रभाव देखने को मिलता है।
कितनी कौटती का है अनुमान?
बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) ग्लोबल रिसर्च के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को देखते हुए आरबीआई आम आदमी को आम आदमी को बड़ी राहत दे सकता है। इस रिसर्च के मुताबिक देश की केंद्रीय बैंक आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है। रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है। हालांकि इस बात कि पुष्टि आरबीआई की एमपीसी बैठक के बाद ही हो पाएगी।
इस एमपीसी मीटिंग का फैसला 9 अप्रैल 2025 को सुनाया जाएगा। रेपो रेट के जरिए आरबीआई मनी सप्लाई में नियंत्रित करने की कोशिश करती है।