आशीष नेहरा ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. न्यूजीलैंड के खिलाफ फिरोजशाह कोटला में खेले गए टी20 मैच के अंत में नेहरा ने कुछ मलाल भी जाहिर किए और टीम चयन को लेकर मुख्य चयनकर्ता पर निशाना भी साधा.
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भारत की तरफ से लगभग 19 साल के करियर में 17 टेस्ट, 120 वनडे और 27 टी20 मैच खेलने वाले नेहरा ने कहा, ‘निश्चित तौर पर कुछ मलाल हैं, लेकिन मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि इतनी अधिक चोटों के बावजूद मेरा करियर इतना लंबा खिंचा. आंकड़े भले कुछ और कहानी कहते हों क्योंकि मैंने अपना अंतिम टेस्ट 2004 में खेला था जब मैं 24-25 साल का था.
वहीं क्रिकेट को अलविदा कहे जाने के सवाल पर नेहरा ने कहा कि उन्होंने संन्यास के फैसले से चयनसमिति को अवगत नहीं कराया और केवल टीम प्रबंधन को इसकी सूचना दी. उन्होंने कहा, ‘मेरी चयनसमिति के अध्यक्ष (एमएसके प्रसाद) से कोई बात नहीं हुई. मैं टीम प्रबंधन को रांची में अपने फैसले के बारे में बता दिया था. जब मैंने विराट से बात की तो उसने पूछा क्या मैं श्योर हूं. उसने सुझाव दिया कि मैं आईपीएल में खेल सकता हूं.’
नेहरा ने कहा, ‘सौभाग्य से यह मैच दिल्ली में था. मैंने किसी तरह के विदाई मैच की मांग नहीं की थी. मैंने चयनकर्ताओं से संन्यास के बारे में बात नहीं की. जब मैंने खेलना शुरू किया था तो चयनकर्ताओं को पूछकर नहीं किया था.’ उन्होंने हालांकि कहा कि अगर विश्व कप छह महीने बाद होता तो वह संन्यास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करते.
श्रीलंका के खिलाफ फरवरी 1999 में टेस्ट क्रिकेट के जरिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले नेहरा ने कहा, ‘मैंने लगभग 19 साल पहले पदार्पण किया था और अब मैं 38 साल में संन्यास ले रहा हूं. यह भावुक क्षण है क्योंकि अब मैं वह नहीं करूंगा जो पिछले 19 साल से कर रहा था. यहां तक जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं वे भी जानते हैं क्रिकेट के बाद भी जिंदगी है. वे भी हमेशा नहीं खेलेंगे. एक दिन उन्हें भी संन्यास लेना है.’ नेहरा का करियर चोटों के कारण उतार चढ़ाव वाला रहा जिसका उन्हें मलाल भी है.
उन्होंने कहा, ‘ मैं एक साधारण इंसान हूं और मैं जहां हूं वहां बहुत खुश हूं. मैं आंकड़ों पर ज्यादा विश्वास नहीं करता. फिर भी कुछ मलाल हैं जैसे कि चोटों से जूझना लेकिन यह सचाई है. यहां तक कि सचिन तेंदुलकर भी सोचते होंगे कि मैं 5000 रन और बना सकता था.’
नेहरा ने कहा, ‘महेंद्र सिंह धोनी और गैरी कर्स्टन 2009 में चाहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट में खेलूं लेकिन मैंने साफ किया पहले मुझे 2011 का विश्व कप खेलने दो और फिर फैसला करूंगा. अब मैं अपने अनुभव को युवा तेज गेंदबाजों में बांट सकता हूं.’ इस तेज गेंदबाज ने कहा कि वह विश्व कप 2011 के बाद वनडे टीम में चयन नहीं किए जाने के टीम प्रबंधन के फैसले से वह नाखुश नहीं हैं, लेकिन इस दौरान वह अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे.
उन्होंने कहा, ‘ मैं ऐसा व्यक्ति रहा हूं जो टीम प्रबंधन के फैसलों पर कभी सवाल नहीं उठाता. अगर वे मेरा चयन नहीं करते तो यह उनका फैसला है. मैंने कड़ी मेहनत जारी रखी क्योंकि कहते हैं कि किसी की मेहनत कभी खराब नहीं जाती. यही खेद है कि इन तीन चार वर्षों में मैं देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकता था. मैं अच्छा खेल रहा था और आईपीएल में बेहतर प्रदर्शन कर रहा था.’
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