देश भर में मोबाइल रेडिएशन को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करने के इरादे से दूरसंचार विभाग ने तरंग संचार के नाम से एक वेब पोर्टल https://tarangsanchar.gov.in/emfportal शुरू किया है. मनोज सिन्हा ने कहा कि मोबाइल टॉवरों को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां फैलाने का काम कुछ NGO कर रही हैं, लेकिन उनके इन दावों में कोई भी वैज्ञानिक सच्चाई नहीं है.
सरकार मोबाइल टावरों को जल्द ही कैंट इलाके में लगाने की अनुमति देने जा रही है. इस बात की जानकारी केंद्रीय दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने तरंग संचार वेब पोर्टेल के उद्घाटन के दौरान अपने भाषण में दी. मंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने के लिए टेलीकॉम सेक्टर में जोरदार बढ़ोतरी जरूरी है. ऐसे में मोबाइल रेडिएशन को लेकर गलत जानकारी को रोकने के लिए सरकार ने तरंग पोर्टल की पहल की है.
इस पोर्टल के जरिए कोई भी व्यक्ति अपन इलाके में मौजूद मोबाइल टॉवरों की सही सही जानकारी और उनसे निकलने वाले रेडिएशन की जानकारी पा सकेगा. इस वेब पोर्टल के जरिए जहां एक तरफ लोगों को सटीक जानकारी मिल पाएगी तो वहीं दूसरी तरफ टेलीकॉम उद्योग के बारे में सही आंकड़े जुटाने में सरकार को भी मदद मिलेगी.
इस पोर्टल से कोई भी व्यक्ति 4000 रुपये का भुगतान करके अपने घर के आसपास इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की जांच करवा सकता है. किसी भी मोबाइल टॉवर से ज्यादा रेडिएशन निकलने की आशंका का समाधान भी इस वेब पोर्टल के जरिए मिल सकता है. केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि मोबाइल को सरकार विकास का सूत्रधार मानती है और इस मामले में किसी भी प्रकार के गलत प्रचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
टेलीकॉम मंत्री ने कहा कि दूरसंचार से जुड़ी हुई कंपनियों से उन्हें इस बात की शिकायत है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को लेकर उन्होंने कोई सार्थक पहल नहीं की. उन्होंने कहा कि देश में मोबाइल से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के चलते मानव शरीर पर पड़ने वाले गलत प्रभावों को लेकर कोई भी रिसर्च ऐसी नहीं है जो इसको पूरी तरह से साबित कर रही हो.
देश में टेलीकॉम सेक्टर के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को लेकर जो स्टैंडर्ड बनाए गए हैं वो दुनिया भर में निर्धारित मानकों के मुकाबले काफी कड़े हैं. उन्होंने ग्वालियर के कैंसर मरीज की गुहार पर मोबाइल टॉवर को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हम अदालत को सही बात बताने की कोशिश करेंगे और उन्हें लगता है कि इस मामले में सही पक्ष सामने नहीं रखा गया है.