बॉलीवुड अभिनेत्री आहना कुमरा ने कहा कि फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ ने उन्हें सिखा दिया है कि सबसे अच्छा है कि लोगों को परखो ही मत। ऐसी बोल्ड फिल्म समाज में किस तरह का बदलाव ला सकती है,
यह पूछे जाने पर आहना ने यहां मीडिया के लोगों से कहा, “मेरे हिसाब से समाज में एक दिन में बदलाव नहीं आ सकता। बदलाव वहां आता है, जहां आप अपनी आखों से अपने खुद के उठाए गए कदमों पर नजर रखते हैं। इस फिल्म ने मुझे सिखाया है कि किसी को जज नहीं करो, कम से कम उनको जज करने की कोशिश मत करो।”
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आहना ने कहा, “मैंने लोगों को जज करना बंद कर दिया है.. वे समलैंगिक, लेस्बियन हो सकते हैं और उनकी दिलचस्पी यौन संबंध में हो सकती है और नहीं भी हो सकती है या कैसे वे अपने लिए पैसे कमाएं, यह मायने नहीं रखता। मैंने यह निश्चित किया है कि अपने दिमाग में किसी को जज करने के विचार को रोककर रखना है।”
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‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ चार महिला किरदारों की कोरी कल्पनाओं पर आधारित फिल्म है। आहना ने इसमें एक ब्यूटिशयन (प्रसाधिका) का किरदार निभाया है।
उन्होंने कहा, “इस फिल्म की सबसे दिलचस्प चीज यह है कि इसकी सभी चार कहानियां, एक महिला के नजरिए से हैं।”
प्रकाश झा द्वारा निर्मित और एकता कपूर द्वारा प्रस्तुत यह फिल्म 21 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है।