इजराइल से उत्तराखंड को मिला जल प्रबंधन का नया रास्ता

उत्तराखंड शहरी विकास विभाग की एक टीम हाल ही में इजराइल गई, जहां दुनिया के सबसे उन्नत वाटर इको सिस्टम को धरातल पर समझा गया। इजराइल दुनिया का वह देश है, जो अपनी 90 प्रतिशत से ज्यादा सीवेज जल को रीसाइकल कर प्रयोग करता है। कृषि की लगभग 70 प्रतिशत सिंचाई इसी पानी से होती है।

वर्षा कम होने के बाद भी इजराइल जल प्रबंधन, वाटर रीयूज और नदी पुनर्जीवन में वैश्विक माडल बन चुका है। अध्ययन यात्रा के दौरान शहरी विकास निदेशालय के संयुक्त निदेशक विनोद कुमार व अधिशासी अभियंता रचना पायल ने शोरक वाटर रीयूज माडल, किशोन नदी पुनर्जीवन प्रणाली व कचरे के पहाड़ को हरित पार्क में बदलने वाले शेरोन माडल को मौके पर जाकर देखा। संयुक्त निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि इजराइल की तकनीक व नवाचारों का प्रयोग आने वाले समय में उत्तराखंड के शहरी विकास और जल प्रबंधन सुधारों में किया जाएगा।

शोरक मॉडल- सीवेज से सिंचाई
इज़राइल में रीयूज वाटर के शोरक माडल में शहरों के सीवेज को खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। पानी को शुद्ध कर नेशनल वाटर कैरियर नेटवर्क में भेजा जाता है, जो देशभर के खेतों तक पानी पहुंचाता है। खेतों में स्मार्ट ड्रिप लाइनों, सेंसर और आटो वाल्व लगे हैं, जो पौधों की जरूरत के अनुसार पानी छोड़ते हैं। पानी की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाती और सीवेज समस्या नहीं, बल्कि संसाधन बन जाता है।

शेरोन पार्क- कचरे का पहाड़ बना हरियाली का मैदान
तेल अवीव का पुराना हिरिया लैंडफिल कभी बदबू, गैस और प्रदूषण का बड़ा केंद्र था। इज़राइल ने इसे हटाने के बजाय पुनर्जीवित करने का माडल चुना। पूरे कचरे के पहाड़ को मिट्टी से ढंककर साइट का ड्रेनेज सिस्टम बदला गया, ताकि बारिश का पानी कचरे में न जाए और लीचेट सुरक्षित टैंकों में इकट्ठा होकर ट्रीटमेंट हो सके। बाद में मिट्टी बिछाकर घास, पेड़, वेटलैंड और झीलें बनाई गईं। अब यही जगह एरियल शेरोन पार्क है।

किशोन मॉडल – प्रदूषित नदी से पुनर्जीवित पारिस्थितिकी
इज़राइल की सबसे प्रदूषित नदी कही जाने वाली किशोन नदी के लिए वर्ष 1990 के बाद पुनर्जीवन योजना शुरू हुई। उद्योगों को केवल ट्रीटेड, मानक-आधारित अपशिष्ट छोड़ने का आदेश दिया गया। इसके बाद नदी तल की जहरीली परत हटाने के लिए बड़ा स्लज-रिमूवल मिशन चला। वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए। किनारों को हरित पार्क और वेटलैंड में बदला गया। किशोन अब जैवविविधता और पर्यटन का केंद्र है।

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