इनकम टैक्स में कटौती के बाद GST घटाने पर फैसला जल्द

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2025 में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी। उन्होंने न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया। अब सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में सुधार करने वाली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि जीएसटी दरों की समीक्षा का काम लगभग पूरा हो चुका है और परिषद जल्द ही स्लैब की संख्या और दरों में कमी पर फैसला लेगी।

जीएसटी का अभी कैसा है स्वरूप?

अभी जीएसटी एक चार स्तरीय टैक्स स्लैब है। इसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब है। विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत का उच्चतम कर लगाया जाता है। वहीं, पैक किए गए खाद्य पदार्थ और आवश्यक वस्तुएं सबसे कम पांच प्रतिशत की स्लैब में हैं। सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव के साथ-साथ स्लैब को कम करने का सुझाव देने के लिए मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) गठित किया था।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘जीएसटी दरों को तर्कसंगत और सरल बनाने का काम लगभग तीन साल पहले शुरू हुआ था। हालांकि बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया। अब काम लगभग पूरा हो चुका है।’ उन्होंने कहा कि परिषद में शामिल राज्यों के वित्त मंत्रियों से दरों पर अधिक गहराई से विचार करने को कहा, क्योंकि वे आम लोगों द्वारा उपभोग की जाने वाली रोजमर्रा की वस्तुओं से संबंधित हैं।निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और कोई संरचनात्मक मंदी नहीं है। सीतारमण ने कहा कि बजट में कर राहत प्रधानमंत्री की करदाताओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने उन अटकलों का खंडन किया कि यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुरानी कर व्यवस्था को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

पूंजीगत व्यय में नहीं आई कमी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय से जुड़े एक सवाल पर कहा कि इसमें कमी नहीं आई है, बल्कि यह बढ़कर 11.21 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो जीडीपी का 4.3 प्रतिशत है। वित्त मंत्री 2025-26 के लिए बजट में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर 11.21 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा गया था, जो वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमानों में 10.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

वित्त वर्ष 2023-24 में यह 10 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022-23 में 7.5 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2021-22 में 5.54 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 4.39 लाख करोड़ रुपये था। बजट में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य को 10 आधार अंकों से घटाकर जीडीपी का 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है।

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