शनि देवता को न्याय देवता के रूप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यदि अपने जीवन में किसी ने भी जाने अनजाने के कोई भी अनुचित कार्य किया होगा तो शनि देव स्वयं उसे दण्डित करते है फिर चाहे वो मनुष्य हो या कोई देवतागण. ऐसा भी माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति पर शनि देव का क्रोध होता है उस पर शनि की साढ़ेसाती,शनि की महादशा और ढैय्या प्रकोप के रूप में बहुत साडी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
ऐसा माना जाता है शनिदेव को प्रसन्न करना आसान है परंतु उनके क्रोध से बच पाना किसी के भी वाश कि बात नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि शनिवार को भूलकर भी तेल या चप्पल की खरीददारी नहीं करना चाहिए इससे शनिदेव रुष्ट होते है और आपको उनके कोप का भाजन करना पड़ सकता है .
जिस व्यक्ति पर शनिदेव की महिमा होती है वह उसके जीवन में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की ऊंचाई को छूटा है. प्रतान ग्रंथों में कहा गया है कि शनि का वास्, चमड़े से बनी वस्तुओं और मनुष्य के पैरों में होता है इसलिए शनिवार को नई चप्पल या जूते नहीं ख़रीदे जाते है साथ ही यदि कभी शनिवार को किसी के जूते-चप्पल चोरी हो जाते है तो इसे शुभ संकेत माना जाता है. इसके सम्बन्ध में कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की जूते-चप्पल चोरी या गम जाते है उसके जीवन में से परेशानियों का खत्म जल्द ही होने वाला होता है . इसी कारण से भी लोग शनिवार को अपने जूते-चप्पल मंदिर में छोड़ आते है.