अपने तीन साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ अपने व्यक्तित्व से सभी का मन मोह लिया बल्कि उनके फैसलों ने भारत की अर्थव्यवस्था और विकास में सहयोग किया। उनका सबसे बड़ा फैसला रहा कालेधन पर नकेल कसने के लिए 500 और 1000 के नोटों पर लगाया गया बैन।
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नोटबंदी के उस फैसले से लोगों को दिक्कत तो हुई लेकिन सभी ने उसका स्वागत किया और इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका नोटबंदी का ये फैसला कुछ फिल्मों की कहानी से मिलता जुलता है ?
एक नजर ऐसी ही फिल्मों पर जिनसे प्रभावित दिखा मोदी का नोटबंदी का फैसला:
2015 में आई अक्षय कुमार की फिल्म ‘गब्बर इज बैक’ कालेधन की पृष्ठभूमि पर ही आधारित थी। इस फिल्म में अक्षय कॉलेज के एक ऐसे प्रोफेसर के रोल में नजर आए जो भ्रष्टाचारी सिस्टम के खिलाफ खड़ा होता है और न्याय के लिए लड़ता है। फिल्म में कालेधन जैसे गंभीर मुद्दे को भी उठाया गया।
रजनीकांत की फिल्म ‘शिवाजी’ की कहानी कुछ ऐसी ही थी। फिल्म के विलेन का पास खूब सारा कालाधन होता है और शहर में हो रही ज्यादातर परेशानियों के लिए वही जिम्मेदार है। रजनीकांत इस फिल्म में हीरो के तौर पर नजर आए जो उस विलेन से लड़ता है, अपनी मौत का नाटक करता है और फिर उस विलेन के पूरे कालेधन को लाकर गरीबों के लिए इस्तेमाल करता है।
रजनीकांत की फिल्म ‘शिवाजी’ की कहानी कुछ ऐसी ही थी। फिल्म के विलेन का पास खूब सारा कालाधन होता है और शहर में हो रही ज्यादातर परेशानियों के लिए वही जिम्मेदार है। रजनीकांत इस फिल्म में हीरो के तौर पर नजर आए जो उस विलेन से लड़ता है, अपनी मौत का नाटक करता है और फिर उस विलेन के पूरे कालेधन को लाकर गरीबों के लिए इस्तेमाल करता है।
2010 में ही एक और फिल्म आई ‘सुपर’। इस फिल्म में भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे को उठाया गया और काफी चर्चा में रही। फिल्म की कहानी एक एनआरआई के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें उसकी मंगेतर भारत की कायापलट करने के लिए उसे चैलेंज करती है। इस चैलेंज को पूरा करने के लिए वो एनआरआई कैसी कैसी तकनीक अपनाता है और कैसे काले धन पर लगाम लगाता है, वो फिल्म में दिखाया गया।
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