इसरो प्रमुख ने अंतरिक्ष उद्योग में आर्थिक कमी पर जताई चिंता

भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन को संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष उद्योग में निवेश पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी बहुत कम है और अगली पीढ़ी को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक अंतरिक्ष शक्ति बनाने के लिए बड़े कारोबारियों के इस क्षेत्र में निवेश करने की जरूरत है। निवेश करने का किया आह्वान इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष उद्योग के अपस्ट्रीम कारोबार (लॉन्च वाहन, ग्राउंड-आधारित स्टेशनों के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड स्टेशन) में निवेश करने से निवेशकों को न सिर्फ मुनाफा होगा, बल्कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भी इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8.4 अरब डॉलर आंकी गई है और अगले दस वर्षों में इसके 45 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। सूर्य अध्ययन के लिए प्रोबा-3 का प्रक्षेपण चार दिसंबर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन के प्रक्षेपण के लिए भारत तैयार है। दिसंबर के शुरुआती सप्ताह में श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से इसे लॉन्च किया जाएगा। यह बात विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को इसरो के एक सम्मेलन में कही। मिशन में दो उपग्रह भी शामिल  उन्होंने बताया कि सूर्य का अध्ययन करने के उद्देश्य से बनाए गए इस मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं। अंतरिक्ष में भेजने के लिए पीएसएलवी-एक्सएल लांचर का उपयोग किया जाएगा। इसके बाद ये उपग्रह अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा की यात्रा पर निकलेंगे, जो पृथ्वी से 60,000 किमी की दूरी तक पहुंचेगी और केवल 600 किमी की निचली कक्षा में उतरेगी। बता दें कि इस कक्षा से सूर्य के कोरोना (सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है, जो प्लाज्मा (आवेशित गैस) से बनी है) को लंबे समय तक आसानी से देखा जा सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह ऐसा कारनामा है, जो पहले केवल सूर्य ग्रहण के दौरान ही संभव था। बता दें कि 2001 में प्रोबा-1 पृथ्वी-अवलोकन मिशन के बाद यह पहली बार है कि भारत से कोई ईएसए मिशन प्रक्षेपित किया जाएगा।
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