भारत में कई मंदिर स्थापित हैं और यह मंदिर आज से नहीं बल्कि आदि काल से ही इस धरती पर निर्मित हैं। खास बात तो यह है कि इन सभी मंदिरो की अपनी अलग कहानी है, जो इनकी विषेशता को दर्शाती है। उन्ही मंदिरों में से एक है कामेश्वर धाम मंदिर। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है, इस मंदिर की विशेषता के बारे में अगर अब भी आप नहीं समझ पाये, तो चलिए हम आपको इसकी विशेषता से रूबरू करवाते हैं।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में कामेश्वर धाम का मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। इसके अलावा इस भूमि पर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम, लक्ष्मण आए थे। ऋषि दुर्वासा ने यहां तप किया था। दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
त्रेतायुग में इस स्थान पर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम लक्ष्मण आये थे, जिसका उल्लेख बाल्मीकीय रामायण में भी है। अघोर पंथ के प्रतिष्ठापक श्री कीनाराम बाबा की प्रथम दीक्षा यहीं पर हुई थी। यहां पर दुर्वासा ऋषि ने भी तप किया था। बताते हैं कि इस स्थान का नाम पूर्व में कामकारू कामशिला था। यही कामकारू पहले अपभ्रंश में काम शब्द खोकर कारूं फिर कारून और अब कारों के नाम से जाना जाता है।
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