अरविंद पनगढ़िया ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है. 31 अगस्त इस पद पर उनका आखिरी दिन होगा. पनगढ़िया शिक्षा के क्षेत्र में वापस लौटना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है. पनगढ़िया ने आजतक से भी कहा था कि उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2 महीने पहले ही बता दिया था.
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इस्तीफा देने के बाद दैनिक भास्कर अखबार को दिए एक इंटरव्यू में पनगढ़िया ने कहा कि मैं पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था, मुझे भारत माता की सेवा करने का मौका मिला था. यह सिर्फ एक पड़ाव था, मंजिल नहीं थी. मैं अब वापस लौटना चाहता हूं, मैंने पीएम को बताया था और उन्होंने मंजूरी दे दी थी.
पनगढ़िया ने कहा कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी से कोई रिटायर नहीं होता है, वहां पर किसी भी उम्र तक आप काम कर सकते हैं. मुझे वहां से पूछा गया था कि मैं वापस लौटूंगा या नहीं तो मैंने वापस लौटने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले को किसी और तरीके से नहीं देखना चाहिए. अभी तक के कार्यकाल में मुझे सभी का साथ मिला था.
पनगढ़िया ने कहा कि प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया कार्यक्रम में वह आगे भी भूमिका निभाते रहेंगे, दो देशों की दूरी से संबंध कमजोर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मैं दिल से हमेशा से हिंदुस्तानी हूं और रहूंगा, जब भी प्रधानमंत्री चाहेंगे मैं सेवा देने को तैयार हूं. वहीं उनके केंद्रीय मंत्री बनने की खबरों को उन्होंने अफवाह बताया.
इंटरव्यू में अरविंद पनगढ़िया बोले कि विकास के क्षेत्र में भारत का नाम आज बड़े सम्मान से किया जाता है. आने वाले समय में विकास दर और भी तेज होगी. प्रधानमंत्री की डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की पहल और नीति, एअर इंडिया जैसे बीमार सरकारी उपक्रमों पर ठोस निर्णयों ने साफ कर दिया कि मोदी सरकार राजकोषीय घाटे पर सजग है. उन्होंने कहा कि यह भारत के प्रति भरोसा ही है कि दुनिया के कई मुल्कों को उम्मीद है कि 2021 में जी-20 की बैठक भारत में हो सकती है.
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