आज भी दुनिया में ऐसी कई जनजातियां हैं, जो तकनीकी विकास व आधुनिक संचार के साधनों के कोसों दूर है। इन जनजातियों ने कम्प्यूटर, टीवी, मोबाइल तो छोड़िए, कागज व पेन तक नहीं देखें हैं और आज भी अपना तन ढंकने के लिए आदिमानव के समान पेड़ के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं।
आज हम आपको बताएंगे दक्षिण प्रशांत महासागर में बसे एक छोटे से देश वानुएतु में रहने वाली एक ऐसी जनजाति की, जिसने कभी टीवी तो नहीं देखी, लेकिन जब इन्हें एक्टिंग करने का मौका मिला तो इन्होंने ऐसी शानदार एक्टिंग की कि फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नामित हो गई।
गौरतलब है कि वानुएतु 80 द्वीपों से मिलकर बना एक छोटा से देश है। यहां पर एक द्वीप है, जिसका नाम है तन्ना। यहां का जीवन भी हमसे बिल्कुल अलग है। यहां रहने वाले आदिवासी आज भी खाने के लिए रोज शिकार करते हैं।
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तन्ना के आदिवासी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए हैं। इस द्वीप के नाम पर ही फिल्म निर्देशक बेनटले डीन व मार्टिन बटलर ने एक फिल्म ‘तन्ना’ बनाई, जिसमें यहां के याकेल गांव की एक प्रेम कहानी दिखाई गई है।
दरअसल मार्टिन बटलर ने करीब 10 साल पहले बेनटले डीन को तन्ना द्वीप पर एक डाक्युमेंट्री फिल्म बनाने के लिए भेजा था। तब से ही डीन को इस जगह से इतना प्यार हो गया कि वे बार-बार इस जगह पर आना चाहते थे।
कुछ सालों बाद वे फिर इस जगह वापस आए और यहां के याकेल गांव के लोगों से बात कर फिल्म में काम करने को लेकर चर्चा की। यहां के गांव वालों ने कभी टीवी, कैमरे, कम्प्यूटर, रिमोट आदि नहीं देखे थे। इसके लिए डीन ने उन्हें अपने लैपटॉप में कई फिल्में दिखाई, जिसके बाद वो फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए।
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इस फिल्म में सभी किरदार याकेल गांव के लोगों ने ही निभाए हैं, जो एक प्रेम कहानी है। इस फ़िल्म का नाम भी ‘Tanna’ है और ये ऑस्ट्रेलिया से विदेशी भाषा में Oscar में Nominate होने वाली पहली फ़िल्म है।
इस फ़िल्म को शूट करने के लिए 2014 में बेनटले डीन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सात महीने के लिए याकेल में ही रहने लगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस फिल्म को नवहाल भाषा में शूट किया गया है, ये वानुएतु में बोली जाने वाली 110 भाषाओं में से एक है और पूरी दुनिया में कुछ हज़ार लोगों को ही आती है।