माना जाता है कि संजीव कुमार को हेमा मालिनी से इस कदर इश्क था कि वो अपनी ड्रीम गर्ल के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। हेमा भी उन्हें पसंद करती थीं लेकिन शायद उतना नहीं जितना वो धर्मेंद्र से करती थीं। हेमा ने संजीव को शादी के लिए ना कह दिया था। इसके अलावा सुलक्षना पंडित के साथ भी संजीव का गहरा अफेयर।
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सबके जेहन में आज भी शोले का ठाकुर जिंदा है। और गब्बर के हाथ मांगने पर ठाकुर का सिर्फ ‘नहीं-नहीं’ चिल्लाना भी। गब्बर का अंत करता वो बिना बाजुओं का उम्रदराज हीरो जिसने सिनेमा के सारे स्टीरियोटाइप तोड़ दिए। अपनी से दोगुनाी उम्र के किरदार को भी सहजता से निभाने का पूरा माद्दा रखते थे सांजीव।
संजीव कुमार का वास्तविक नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं। संजीव कुमार का जन्म सूरत में एक गुजराती परिवार में हुआ था। बाद में उनका परिवार मुंबई में सेटल हो गए था और वहीं संजीव ने फिल्म स्कूल में दाखिला लिया था।
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संजीव कुमार अपनी जिंदगी में आई महिलाओं पर बहुत शक किया करते थे। यही कारण था कि उनकी मां कहा करती थीं कि इतना शक करोगे तो कुंवारे ही रह जाओगे। इसे किस्मत का मजाक ही कहेंगे कि हैंडसम, अमीर और कामयाब होते हुए भी संजीव कुंवारे ही इस दुनिया से चले गए।
संजीव कुमार ने ना सिर्फ हिंदी में बल्कि मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलगु, सिंधी और गुजराती में भी अनेक फिल्में की और वाह-वाफी बटोरी। संजीव ने गुजराती थियेटर भी किया है। पर्दे पर ज्यादातर गंभीर रोल ही करने वाले संजीव कुमार अपनी असल ज़िन्दगी में भी बेहद संजीदा थे।
फिल्म ‘खिलौना’ जो 1970 मे रिलीज हुई और जबरदस्त कामयाब भी हुई थी, के बाद संजीव कुमार रातों रात स्टार बन गए थे। इसी साल फिल्म ‘दस्तक’ भी प्रदर्शित हुई थी और लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के नेशनल अवॉर्ड से नवाजा भी गया था।