यह हकीकत है कि आधुनिक युग की शुरुआत से पहले किसी भी अविष्कार का विरोध हुआ है और ऐसे में मुश्किल होती थी अविष्कारक के लिए। उन्हें पागल, सनकी तक कह दिया जाता था। ‘गैलेलियो’ तो याद होंगे न आपको… इस महान वैज्ञानिक ने सबसे पहले अध्ययन कर बताया था कि सूर्य गोल है और पृथ्वी उसका परिक्रमा करती है, न कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है।बड़ी खबर: अब पाक का ग्वादर पोर्ट बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा शिपिंग सेंटर…
उस समय गैलेलियो को पागल घोषित कर देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। यहां तक कि उनके अविष्कार करने तक पर रोक लगा दी गई लेकिन वे नहीं रुके। अंतत: उन्हें जेल में डाल दिया गया। आने वाले समय में लोगों को गैलेलियो की कही बात स्वीकार करनी पड़ी। ऐसा करने पर साइंस ने ही लोगों को मजबूर कर दिया। जी हां…साइंस में कुछ भी हो सकता है। जैसे इस बाल वैज्ञानिक ने कर दिखाया है। इसके दिमाग की भी दात देनी होगी। इसने एक ऐसा डिवाइस तैयार कर दिखाया जो बड़े काम का है। इस डिवाइस से कहीं भी, कभी भी आपकी जरूरत के लिए बिजली का बंदोबस्त किया जा सकता है।
सुनकर शायद थोड़ा अटपटा लगे लेकिन इस लड़के ने जूते से मोबाइल चार्ज और लाइट का जुगाड़ करने के लिए डिवाइस बनाई है। यहां देखिए इस बाल वैज्ञानिक का अविष्कार…राजकीय इंटर कालेज लमगड़ा के 11वीं के छात्र विनय कपकोटी ने यह कारनामा कर दिखाया है। बाल वैज्ञानिक ने एक ऐसा जूता डिजाइन किया है जिससे मोबाइल चार्ज होने के साथ-साथ रात में रोशनी भी मिलेगी। यह सब होगा जूते में फिट की गई बैटरी के जरिये, जो विद्युत ऊर्जा को संरक्षित करेगी और जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सकेगा।
बाल वैज्ञानिक का ये जूता पांच वोल्ट तक के विद्युत उपकरणों को चार्ज कर सकता है। बता दें इस जूते में विद्युत ऊर्जा संरक्षित करने के लिए 3.6 वोल्ट (700 मिली एंपियर) की बैटरी लगी है। इसके भीतर इनवर्टर सर्किट लगाया गया है जो 3.6 वोल्ट विद्युत ऊर्जा को पांच वोल्ट विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
यही नहीं जूते में एक एलईडी बल्ब लगाया गया है जो रात के समय अंधेरे इलाके से गुजरने वालों के लिए मददगार साबित होगा। साथ ही जूते में एक छोटा गेयर बॉक्स भी लगाया गया है। जूते में पावर सेव करके आगे के लिए उपयोग में भी लाया जा सकता है।
जूते के बाहर यूएसबी पोर्ट लगा है जिसके माध्यम से मोबाइल और विद्युत उपकरणों को चार्ज किया जा सकता है। जूते को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सारे सर्किट जूते के तले में फिट आ जाते हैं।
जूते को खास तौर पर सेना को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है क्योंकि सैनिक कई दिनों तक जंगलों में रहते हैं जहां विद्युत की कोई व्यवस्था नहीं हो पाती है। रात को टार्च की रोशनी से दुश्मनों द्वारा देखे जाने का खतरा बना रहता है। जूते के आगे लगी एलईडी के प्रकाश के माध्यम से जंगलों में रात को आसानी से कांबिंग की जा सकती है। प्रकाश सीधे जमीन के ऊपर पांव की सीध में पड़ेगा जिससे दुश्मन की नजर सैनिकों पर नहीं पड़ेगी।