जानवरों में यह काबिलियत होती है कि शिकार पर धावा बोलने के लिए वे बड़ी आसानी से खुद को आसपास के इलाके के साथ कैमोफ्लाज (छलावरण) कर लेते हैं। गिरगिट जैसे कुछ जीव हैं जो रंग बदलकर ऐसा करते हैं, वहीं चीता जैसे जानवरों की खाल ही ऐसी बनी हुई होती है कि वह वातावरण से मेल खाती है।
ये वो जगह है जहां शाम ढलने के बाद जो गया, वो लौट कर नहीं आया… जानिए क्या रहस्य
ऐसी ही वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर Ingo Gerlach की खींची एक तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली गई जिसमें एक तेंदुआ अपने ‘खाने’ की ओर बढ़ रहा है। लेकिन वो कहां छुपा है इसे वह शिकार तो क्या आप भी नहीं ढूंढ़ पाएंगे।
क्या आपको पता है इस मंदिर में होती है मोटरसाइकिल की पूजा, दूर-दूर से आते हैं लोग…
अगर आप यह सोच रहे हैं कि पेड़ से लटकती भूरे रंग की चीज ही वह तेंदुआ जिसे आप ढूंढ़ रहे हैं तो आपके ज्ञानवर्धन के लिए बता दें कि तेंदुओं के सींग नहीं होते। लेकिन पेड़ पर जो जानवर लटका है उसके सींग हैं। यानी वह जानवर तेंदुआ नहीं है। तो फिर कहां हैं?
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