पॉलिसी में संशोधन को लेकर सरकार उठाने जा रही हैं बड़ा कदम, होगा दोगुना फायद

इस पॉलिसी में संशोधन को लेकर सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम, होगा दोगुना फायद

उत्तराखंड सरकार अपनी इस पॉलिसी में संशोधन करने जा रही है। संशोधन से कई राहत और फायदे होंगे। पढ़िए कहीं आपसे जुड़ा हो कुछ खास..पॉलिसी में संशोधन को लेकर सरकार उठाने जा रही हैं बड़ा कदम, होगा दोगुना फायदजिस विश्वविद्यालय के थे कभी छात्र आज वहीं मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे President!

पांच माह पहले बनी उत्तराखंड की स्टार्ट-अप पॉलिसी में प्रदेश सरकार संशोधन करने जा रही है। इसके तहत पूर्व में पंजीकृत फर्म या कंपनी को स्टार्ट-अप में शामिल करने की अवधि को पांच साल से बढ़ाकर सात साल किया जा रहा है।

यानी सात साल पहले पंजीकृत कंपनी भी इस पॉलिसी के तहत मिलने वाले लाभ ले सकेगी। समय अवधि बढ़ाने से ऐसी कंपनियों को स्टार्ट अप नीति में टैक्स छूट, इनसेंटिव का फायदा मिलेगा। केंद्र की पॉलिसी के अनुसार राज्य की स्टार्ट-अप पॉलिसी को परिभाषित करने के साथ ही तीन स्टेज स्टार्ट-अप, बूट-अप व स्केल-अप पर मिलने वाले इनसेंटिव को बढ़ाया जा सकता है।

केंद्र की अधिकृत एजेंसी इन्वेस्ट इंडिया ने अन्य राज्यों की तर्ज पर इन्सेंटिव देने का सुझाव उत्तराखंड को दिया है। राज्य में स्टार्ट-अप पॉलिसी को क्रियान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने इन्वेस्ट इंडिया एजेंसी के साथ समझौता करार किया है।

औद्योगिक क्षेत्र में अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया योजना शुरू की है। राज्य सरकार की ओर से जून 2017 में स्टार्ट-अप पॉलिसी बनाई गई, लेकिन केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप पॉलिसी में फर्म या कंपनियों को ज्यादा सुविधा देने के लिए कुछ प्रावधानों में बदलाव किया।

इसमें स्टार्ट-अप उन्हीं फर्म या कंपनी को माना जाएगा, जिनकी पंजीकरण तिथि से सात साल की अवधि है। पहले यह समय सीमा पांच साल निर्धारित थी। जैव प्रौद्योगिक सेक्टर की कंपनियों के लिए यह अवधि 10 साल निर्धारित की गई है। इसके साथ ही सालाना कारोबार 25 करोड़ से अधिक करने वाली कंपनी को स्टार्ट-अप का लाभ नहीं मिलेगा।

स्टार्ट-अप बनने वाली फर्म या कंपनी को तीन साल तक आयकर में छूट का लाभ मिलेगा। इसके अलावा तीन साल तक कंपनी का निरीक्षण नहीं किया जाएगा। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की संशोधित स्टार्ट-अप पॉलिसी के अनुसार राज्य सरकार भी अपनी पॉलिसी में संशोधन करेगी।

राज्य में स्टार्ट अप नीति को लागू करने में इन्वेस्ट इंडिया एजेंसी बिजनेस सलाह, सूचना तकनीकी, मार्केट रणनीति के साथ राज्य में निवेश के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने व नीति निर्धारण में सहयोग करेगी।

केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप पॉलिसी के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया है, जिसमें फर्म व कंपनियों के लिए पंजीकरण तिथि के बाद पांच साल की अवधि को बढ़ाकर सात साल किया है। केंद्र की नीति के अनुसार राज्य की स्टार्ट-अप नीति में संशोधन किया जाएगा।

अन्य राज्य स्टार्ट-अप में किस प्रकार से इन्सेंटिव दे रहे हैं, इस पर इन्वेस्ट इंडिया की ओर प्रस्ताव दिया जाएगा। इसके बाद ही इन्सेंटिव में संशोधन किया जाएगा। राज्य में स्टार्ट-अप नीति को लागू करने के लिए इन्वेस्ट इंडिया के साथ एमओयू हुआ है।

35 हजार करोड़ पहुंचा राज्य का औद्योगिक निवेश
राज्य स्थापना के बाद औद्योगिक क्षेत्र में 9000 करोड़ का निवेश बढ़कर 35000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें 3.70 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।

सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने के बाद राज्य में 4346 करोड़ रुपये पूंजी निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। इनमें से ज्यादातर खाद्य प्रसंस्करण, रबड़, प्लास्टिक, टेक्सटाइल के प्रस्ताव हैं। राज्य में बायो टेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल, आयुर्वेद, योग, पंचकर्म वेलनेस सेंटर, जड़ी-बूटी, सगंध पौध के क्षेत्र में पूंजी निवेश की काफी संभावना है।

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