हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होती है, जो एकादशी की तिथि को समाप्त होती है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है, जो 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होगी। कालांतर से यह पर्व श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मनाया जाता है। इस यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अपनी बहन सुभद्रा को नगर की सैर कराते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त और महत्व जानते हैं-
जगन्नाथ रथ यात्रा शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह में द्वितीया तिथि आज दिन में 11 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 23 जून को दिन में 11 बजकर 19 मिनट तक है। अतः रथ यात्रा का आयोजन दोपहर में किया जा सकता है। इसे श्रद्धालु लाइव देख सकते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा धार्मिक पक्ष
द्वापर काल से इस यात्रा का आयोजन किया जाता है। जब भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की। इसके बाद सुभद्रा के नगर भ्रमण के लिए रथ यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा के लिए तीन रथ बनाए गए और इन रथ पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने बहन सुभद्रा को नगर भ्रमण कराया था।
कालांतर से यह परंपरा चलती आ रही है। आधुनिक समय में तीन लकड़ी के रथ बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ का विशाल रथ होता है, जिसमें 16 पहिए लगे होते हैं। जबकि बलराम के रथ में 14 और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं, जिसे श्रद्धालु अपने हाथों से खींचते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा की कथा
इस रथ यात्रा की दूसरी कथा अनुसार भगवान जगन्नाथ का जन्म ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन होता है। इसके बाद उन्हें मंदिर में स्थित सरोवर में 108 कलशों से स्नान कराया गया, जिससे उन्हें ज्वर और ताप आ गया। उस समय भगवान जगन्नाथ 15 दिन तक अपने कक्ष से नहीं निकले। इसके बाद आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवन नगर भ्रमण और भक्तों को दर्शन देने निकले। इस भ्रमण में उनके साथ बलराम और सुभद्रा भी थी।