एक ऐसा मंत्र जिसके उच्चारण से व्यक्ति के जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। डिप्रेशन जैसी कई समस्याओं का समाधान होता है। इस मंत्र के सच्चे मन से उच्चारण करने पर आप स्वयं ही अपने जीवन में बदलाव पाएंगे, लेकिन क्या आप इसके लिए तैयार है।
इस मंत्र का उच्चारण तभी करें जब इसके लिए पूर्ण रूप से तैयार हो। जैसे वट (बरगद) के बीज में विशाल वृक्ष मौजूद है ठीक उसी प्रकार अत्यंत सूक्षम होने पर भी इस मंत्र को महान् अर्थ से परिपूर्ण समझना चाहिये। आगे पढ़िए क्या है यह मंत्र..
“ॐ नम: शिवाय” वह मूल मंत्र है जो हमारे शरीर का शुद्धीकरण करता है और साथ ही आपमें ध्यान की अवस्था लाने में मदद करता है। यह वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है।
माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण से व्यक्ति स्वयं के अंदर सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करता है।
ॐ नम: शिवाय” वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है।
इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र (सिस्टम) के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।
‘ॐ नम: शिवाय’ इस मंत्र का उच्चारण आप कर सकते हैं, लेकिन क्या आप इसके लिए तैयार हैं। क्योंकि इस मंत्र का असर तब ही होगा जब आप इसके महत्व को समझकर सच्चे मन से इसका प्रयोग करेंगे।
भगवान शिव के षडक्षर मंत्र ”ॐ नम: शिवाय” से तो आप भली भांति परिचित होंगे। प्रणव मंत्र ‘ॐ’ के साथ ‘नम: शिवाय’ (पंचाक्षर मंत्र) जप करने पर यह षडक्षर बन जाता है। पुराणों में इस मंत्र की बड़ी ही महिमा कही गई है
जिसने ‘ॐ नम: शिवाय’ इस मंत्र का जप दृढ़तापूर्वक अपना लिया है उसने सम्पूर्ण शास्त्र पढ़ लिया और समस्त शुभ अनुष्ठानों को पूरा कर लिया है। शिव पुराण के अध्याय 12 में यहां तक कहा गया है कि ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र के जप में लगा हुआ पुरुष यदि पंडित, मूर्ख, अन्त्यज अथवा अधम भी हो तो वह पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है।