वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल की राज्यसभा में हुई जीत ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की क्षमता सिर्फ कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी में है। इसलिए मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस और विपक्ष की राजनीति राहुल गांधी के बजाय सोनिया गांधी के इर्द गिर्द घूमती रहती है।

कांग्रेस ने भेजा विपक्षी दलों को न्यौता
गुजरात राज्यसभा में अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करने के बाद कांग्रेस सत्याग्रह रैली के जरिए बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है। इस भव्य रैली के लिए 1 सितंबर की तारीख तय की गई है. इसके लिए कांग्रेस ने विपक्षी दलों को न्यौता भी भेज दिया है।
हालांकि सितंबर में गुजरात में होने वाले सत्याग्रह आंदोलन से ठीक पहले विपक्ष की एकजुटता की परीक्षा 27 अगस्त को पटना में होने वाली रैली में होगी। यह रैली आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने आयोजित की है। लालू ने इस रैली के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी न्यौता भेजा है।
खास बात यह है कि न्यौता भेजते समय लालू यादव ने सोनिया गांधी से कहा था कि अगर वह पटना रैली को संबोधित करने में असमर्थ हैं, तो वह प्रियंका गांधी को भेज दें। लालू के इस कदम से यह साफ होता है कि विपक्ष का कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भरोसा कम हो गया है।
राहुल क्यों नहीं हैं विपक्ष की पसंद ?
दरअसल पिछले महीने जब बिहार की सियासत में गहमागहमी थी और तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते महागठबंधन पर संकट के बादल छा गए थे। जिसके बाद जेडीयू चीफ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और मामले में हस्तक्षेप की मांग की। राहुल की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से नाराज नीतीश ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया।
#बड़ी खबर: सपा महिला द्वारा फिर भाजपा उम्मीदवार को धुल चटाने पर मुलायम ने दी बधाई
महागठबंधन से अलग होने के बाद जेडीयू चीफ नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने विपक्षी दलों का एक गठबंधन बनाने की कोशिश की थी, लेकिन इस दिशा में कांग्रेस की तरफ से कोई ठोस एजेंडा प्रस्तुत नहीं किया जा सका।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features