इस वर्ष हरियाली तीज 23 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। हरियाली तीज का व्रत अखंड सौभाग्य एवं उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत मुख्य तौर पर सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी के लिए करती हैं। इसमें निर्जला व्रत किया जाता है, लेकिन जिन महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या वो गर्भवती हैं, तो उनके लिए छूट होता है।
आज के दिन महिलाएं समूह में एकत्रित होकर गीत गाती हैं, हाथों में मेंहदी रचाती हैं और सखियों के संग झूला झूलती हैं। शाम के समय सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी का पूजा करती हैं। हरियाली तीज मुख्यत: भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाई जाती है।
शाम को विधिपूर्वक माता पार्वती की पूजा करने के बाद हरियाली तीज की आरती जरूर करनी चाहिए। आरती करने से पूजा में रहने वाली कमी पूरी हो जाती है।
माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता…
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता…
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।। जय पार्वती माता…
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।। जय पार्वती माता…
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता…
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता। जय पार्वती माता…
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता…
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।। जय पार्वती माता…
जिस प्रकार किसी भी पूजा में आरती का महत्व होता है, ठीक वैसे ही उस व्रत की कथा का भी अपना महत्व होता है। हरियाली तीज की पूजा में हरियाली तीज व्रत का पाठ भी करना चाहिए। पाठ करने से पूजा को पूर्ण माना जाता है।