अमेरिकी मीडिया में लीक हुए एक वीडियो के कारण गूगल की मुसीबत बढ़ सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के 2016 में राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद के इस वीडियो में गूगल के सीईओ सुंदर पिचई और उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट के प्रेसिडेंट सर्जेई ब्रिन अपने कर्मचारियों को ढांढस बंधा रहे हैं। दरअसल, विदेशी कर्मचारियों को लेकर ट्रंप के भड़काऊ बयानों के कारण गूगल प्रबंधन और उसके कर्मचारी, जिनमें से काफी संख्या विदेशियों की है, खासे चिंतित थे और वे नहीं चाहते थे कि ट्रंप राष्ट्रपति बनें। ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि अगर वह जीत जाएंगे तो विदेशी कर्मचारियों के यहां आने पर रोक लगाएंगे।
ट्रंप की पार्टी ने जांच की मांग उठाई
यह वीडियो सामने आने के बाद ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने गूगल कंपनी पर हमला तेज कर दिया है। बता दें कि यह कंपनी पहले से ही रिपब्लिकन पार्टी के निशाने पर है। पार्टी का आरोप है कि उससे संबंधित समाचारों और विचारों को गूगल में दबाने की कोशिश की जाती है। हालांकि इस वीडियो को कांट-छांटकर दिखाया गया है क्योंकि इसमें गूगल के अधिकारी ट्रंप के जीतने के फायदे भी गिना रहे हैं, जिसे प्रसारित नहीं किया गया है।
जूनियर ट्रंप भी उतरे मैदान में
डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन मैनेजर ब्रैड पार्सकेल ने इस वीडियो के सामने आने के बाद कहा कि गूगल का यह रवैया इस देश के लिए खतरा है। इसके मद्देनजर उन्होंने कंपनी के अधिकारियों को कांग्रेस के समक्ष तलब करने और कंपनी का जांच करने की मांग की। उधर, ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने ट्वीट किया कि दुनिया में 91 फीसद सर्च पर गूगल का अधिकार है और वे तय करते हैं कि हम क्या देखें। अगर यह एकाधिकार नहीं है तो फिर क्या है।
इस वीडियो को लेकर उठे विवाद के बीच गूगल की प्रवक्ता रीवा सिउटो ने ट्रंप की जीत के बाद कंपनी में हुई बैठक का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल से हमारे कर्मचारी बैठकों में खुलकर अपनी बात रखते रहे हैं। वीडियो में जिस बैठक का जिक्र किया जा रहा है, उसमें भी कोई ऐसी बात नहीं कही गई थी, जिससे लगे कि हम राजनीतिक रूप से भेदभाव करते हैं।