हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। साल में कुल 24 एकादशियां आती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। पितृपक्ष में इस एकादशी के होने की वजह से इसका महत्व बहुत अधिक हो जाता है।पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से यदि कोई पितर जाने-अंजाने में कोई पाप किया होता है और उसे यमराज का दंड भोग भुगतना पड़ रह है तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है। साथ ही जो इस व्रत को रखता उसे भी मरने के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है। पुराणों में इस एकादशी की एक कथा है।
महिष्मति नाम की नगरी में इंद्रसेन नाम के प्रतापी राजा राज किया करते थे। एक बार उन्होनें सपने में अपने पिता को नरक के कष्ट काटते हुए देखा और पिता ने सपने में उन्हें इससे मुक्ति दिलाने का रास्ता निकालने के बारें में कहा।
तब नारद मुनि के सुझाव पर आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा ने इस व्रत से रखा और जो मिले हुए पुण्य को अपने पिता को दान कर दिया। इससे उनके पिता नरक से मुक्ति होकर स्वर्ग को प्राप्त हो गए।