इस व्रत को करने से होती है संतान की प्राप्ति, जानें-भगवान स्कन्द की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कन्द षष्ठी मनाई जाता है। तदनुसार, आज  आषाढ़ माह की स्कन्द षष्ठी है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती के अग्रज पुत्र और देवों के सेनापति कार्तिकेय की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन से दुःख और दरिद्रता दूर हो जाती है। भगवान स्कन्द को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें स्कंद देव,  महासेन, पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि प्रमुख नाम है। आइए, स्कन्द षष्ठी पूजा-विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व जानते हैं-

स्कन्द षष्ठी का महत्व

आज अति शुभ दिन है क्योंकि आज गुप्त नवरात्रि का पांचवा दिन है। इस दिन  स्कंदमाता की पूजा उपासना की जा रही है, जो देवों के सेनापति कार्तिकेय की माता हैं। इसके साथ ही आज स्कन्द षष्ठी भी है। दक्षिण भारत में स्कन्द षष्ठी के दिन विशेष पूजा-उपासना की जाती है, जिसमें भगवान कार्तिकेय का आह्वान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिकेय का जन्म हुआ है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

व्रती दिन भर पूजा उपासना कर सकते हैं। आज के दिन शुभ मुहूर्त प्रातः काल 7 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 27 जून को 5 बजकर 3 मिनट तक है। इस दौरान व्रती कार्तिकेय देव की पूजा उपासना कर सकते हैं।

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर गंगाजल पानी से  स्नान-ध्यान कर सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें। इसके लिए हथेली में जल लेकर आमचन करें। तत्पश्चात, पूजा गृह में मां गौरी और शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पूजा चौकी पर स्थापित कर देवों के देव महादेव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध,  गाय का घी, इत्र आदि से करें। अंत में आरती कर अपना मनचाहा वर की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में कीर्तन-भजन और आरती करें। इसके पश्चात फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ कर व्रत खोलें।

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