सीबीआई ने गुड़गांव से एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को आईएएस अफसर बताकर एक बड़ी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में नौकरी हासिल की. यही नहीं उस शातिर शख्स ने खुद को पीएमओ में संयुक्त सचिव बताकर विदेश यात्रा के लिए वीजा भी हासिल किए. सीबीआई ने पीएमओ से शिकायत मिलने के दो साल बाद इस शख्स को गिरफ्तार किया है.अभी-अभी: यूपी के उप CM केशव प्रसाद मौर्य ने भ्रष्टाचार को लेकर कही ये बड़ी बात….
सीबीआई की पकड़ में आए शातिर का नाम करण भल्ला है. जिसकी उम्र 30 वर्ष है. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक करण भल्ला को कई कंपनियों के साथ साक्षात्कार देने के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही थी. तभी न जाने कहां से उस शख्स के दिमाग में एक शातिराना ख्याल आया और उसने खुद को एक आईएएस अफसर बताते हुए कई प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को नौकरी के लिए मेल भेजना शुरू कर दिया.
उसने मेल करते हुए खुद को प्रधान मंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में तैनात आईएएस अधिकारी बताया. नतीजा यह हुआ कि पांच महीनों के भीतर, करण भल्ला को गुड़गांव में एक प्रमुख इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई. इससे पहले करण ने खुद को अधिकारी बताकर दूतावासों को मेल किए. साथ ही उसने इसी तरह से जर्मनी और अमेरिका की यात्रा के लिए वीजा भी हासिल किया.
लेकिन कहते हैं कि झूठ ज्यादा दिन नहीं चलता. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. आखिरकार, 2015 में पीएमओ के ओएसडी केके धिंगड़ा ने इस मामले की जानकारी सीबीआई को दी. दरअसल, आईटीसी के चेयरमैन योगेश चंदर देवेश्वर ने 24 फरवरी, 2015 को एक ईमेल के बारे में ओएसडी धिंगड़ा को बताया. उन्होंने ईमेल में दिए गए मोबाइल नंबर की जानकारी भी ओएसडी को दी.
केके धिंगड़ा ने जब पीएमओ के वर्तमान अतिरिक्त सचिव से इस बारे में पता किया तो उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा किसी को इस तरह का कोई ईमेल नहीं भेजा गया था. न ही नो मोबाइल नंबर उनके पास था. तब जाकर धिंगड़ा ने इस मामले की जानकारी सीबीआई को दी. सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की.
सीबीआई ने तकनीकी सर्विलांस का उपयोग करते हुए 30 जुलाई, 2014 को भेजे गए उस ई-मेल की जांच की, जिसका जिक्र धिंगड़ा से किया गया था. अखबार के सूत्रों ने बताया कि आगे की जांच के बाद यह भी पता चला कि भल्ला ने नौकरी के लिए एचसीएल, वोडाफोन, फ्लिपकार्ट, टाटा मोटर्स, एनकंपैप्स और यूनिलीवर जैसे विभिन्न कंपनियों के प्रमुखों को ईमेल भेजे थे.
जांच से खुलासा हुआ कि ई-मेल भेजने के लिए इस्तेमाल किया गए कुछ आईपी एड्रेस अनू भल्ला के नाम पर थे. जो कि एक इंटरनेट डोंगल से किए गए थे. कुछ ई-मेल्स में अटैचमेंट को तौर पर करण भल्ला का बायोडाटा भी संलग्न था. उसी ई-मेल एड्रेस से जर्मनी और अमेरिका के दूतावासों को भी वीजा के लिए आवेदन भेजे गए थे.
अमेरिका में वीजा के लिए आवेदन करते समय, करण भल्ला ने अपना सेल फोन नंबर साझा किया था. सर्विलांस की मदद से जांचकर्ताओं को पता चला कि यह नंबर किसी अमृतसर निवासी के नाम पर दर्ज था, लेकिन इसका इस्तेमाल करण भल्ला कर रहा था.
सूत्रों ने बताया कि भल्ला ने इसी घपलेबाजी से एक प्रमुख इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में सीनियर मैनेजर के तौर पर नौकरी पाने में कामयाबी हासिल की थी. उसके दस्तावेजों और लैपटॉप आदि की जांच से पता चला कि वह खुद को सभी जगहों पर एक आईएएस अफसर के तौर पर जाहिर करता था.
दो दिन पहले सीबीआई की टीम ने आखिरकार करण भल्ला को गुड़गांव से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के उसे दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया है. सीबीआई ने उसके ऑफिस और घर पर छापा मारकर कुछ अहम दस्तावेज और लैपटॉप आदि बरामद किए हैं.